रामायण(भार्गव)
सभी भक्त जानते हैं की रामायण वाल्मीकि जी द्वारा लिखी गई है उसके बाद गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान की कृपा से रामचरितमानस की रचना की है। जिसमे सात काण्ड हैं। भगवान की कथा और लीला तभी पढ़ने-सुनने को मिलती है जब भगवान की कृपा हो।
बालकाण्ड :
इसमें तुलसीदास जी ने सरस्वती और गणेश जी और सभी भगवान को वंदन किया है। भगवान शिव माँ पार्वती जी को राम कथा सुना रहे हैं। सबसे पहले शिव ने राम जन्म के कारण बताये हैं। फिर भगवान राम का जन्म हुआ है। सुन्दर राम जन्मोत्सव मनाया गया है। इसके बाद भगवान श्री राम का सभी भाइयों सहित नामकरण हुआ है। फिर भगवान राम ने सुंदर सुंदर बाल लीलाएं की हैं।
इसके बाद मुनि विश्वामित्र जी आये हैं और राम-लक्ष्मण को अपने साथ लेकर गए हैं और भगवान ने ताड़का, और सुबाहु का वध किया है। फिर भगवान ने अहिल्या जी का उद्धार किया है। फिर भगवान राम-लक्ष्मण और विश्वामित्र जी जनकपुर पहुंचे हैं इसके बाद भगवान श्री राम ने सीता जी को पुष्प वाटिका में देखा है। रामजी ने शिव धनुष को तोडा है और रामजी का विवाह सीता जी के साथ हुआ है। सीता माता की विदाई हुई है। और बारात लौटकर अयोध्या आई है।
यहाँ पर बालकाण्ड का विश्राम हुआ है और अयोध्याकाण्ड प्रारम्भ हुआ है। आप कोई भी कथा विस्तार से पढ़ने के लिए ब्लू लिंक पर क्लिक कीजिये।
अयोध्याकाण्ड :
बारात अयोध्या आई है। दशरथ जी ने राम राज्याभिषेक की कही है। लेकिन मंथरा के कहने पर ककई ने दशरथ जी से 2 वर मांगे है और राम को वनवास जाने के लिए कहा है। इसके बाद भगवान श्री राम- माँ सीता जी और लक्ष्मण के साथ वनवास को गए हैं। फिर भगवान राम और निषादराज गुह का मिलन हुआ है। इसके बाद भगवान ने केवट पर भी कृपा की है। फिर भगवान ने भरद्वाज मुनि और वनवासियों पर अपनी कृपा की है। यहाँ पर महर्षि वाल्मीकि जी का राम से मिलन हुआ है। भगवान ने फिर चित्रकूट धाम में रहकर लीलाएं की है।
दूसरी ओर राजा दशरथ की मृत्यु हुई है। और सुंदर भरत चरित्र शुरू हुआ है। भरत जी महाराज परिवार समेत वन में पहुंचे हैं। राम और भरत जी का मिलाप हुआ है। राम और भरत जी के बीच संवाद हुआ है। और रामजी को वापिस अयोध्या लौटने को कहा है। रामजी ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वन में ही 14 वर्ष बिताने की कही है। रामजी ने अपनी चरण पादुका भरत जी को दी है। भरत जी वापिस अयोध्या लौट आये हैं और खुद भी तपस्वी के भेष में रहने लगे हैं।
तुलसीदास जी ने यहाँ पर अयोध्याकाण्ड का विश्राम किया है और अरण्यकाण्ड शुरू किया है।
अरण्यकाण्ड :
यहाँ पर भगवान अत्रि मुनि से मिले हैं और उनकी पत्नी अनसुइया जी ने सीता जी को सुंदर पत्नी धर्म की शिक्षा दी है। भगवान ने यहाँ अगस्त्य मुनि और सुतीक्ष्ण मुनि पर भी कृपा की है। इसके बाद सीता हरण की लीला आई है। राम जी को सीताजी का वियोग हुआ है और भगवान ने जटायु का अंतिम संस्कार किया है। भगवान आगे बढे हैं और शबरी माता पर कृपा की है। यहीं पर नारद जी और श्री राम के बीच वार्तालाप हुआ है।
यहाँ पर तुलसीदास जी ने अरण्यकाण्ड को विश्राम दिया है और यहाँ से किष्किंधाकाण्ड प्रारम्भ हुआ है।
किष्किन्धाकाण्ड :
भगवान राम और हनुमान जी का मिलन हुआ है। फिर भगवान ने सुग्रीव से मित्रता की है और बालि को मारा है। इसके बाद सीता माता की खोज शुरू की गई है। यहाँ पर किष्किन्धाकाण्ड का विश्राम हुआ है और सुंदरकांड शुरू हुआ है।
सुंदरकाण्ड :
हनुमान जी समुद्र लांघकर लंका गए है और सीता जी से मिले हैं। फिर हनुमान जी ने लंका दहन किया है। और हनुमानजी लंका दहन करके राम जी के पास वापिस लौट आये हैं। विभीषण राम की शरण में आये हैं। राम ने समुद्र पर क्रोध किया है।
यहाँ पर सुंदरकांड का विश्राम हुआ है और लंका कांड प्रारम्भ हुआ है।
लंकाकाण्ड :
समुद्र पर राम सेतु बनाया गया है। अंगद को दूत बनाकर रावण के महलों में भेजा गया है। जब रावण नही माना तो लंका युद्ध प्रारम्भ हुआ है। लक्ष्मण को मेघनाद का शक्ति बाण लगा है तो हनुमान जी संजीवनी पर्वत उठाकर लाये हैं।
फिर राम ने कुम्भकर्ण का वध किया है। लक्ष्मण ने मेघनाथ का वध किया है। इसके बाद राम-रावण का बड़ा भयंकर युद्ध हुआ है। जिसमे राम जी ने रावण का वध किया है।
फिर विभीषण का राज्याभिषेक किया गया है। सीता माता की अग्नि परीक्षा हुई है। पुष्पक विमान पर बैठकर फिर भगवान ने अयोध्या के लिए गमन किया है।
लंका कांड समाप्त हुआ है और उत्तर कांड शुरू हुआ है।
उत्तरकाण्ड :
भगवान राम सीता जी को लेकर सबके साथ लंका से अयोध्या आये हैं। फिर भगवान का राज्याभिषेक हुआ है। और अंत में श्री रामायण जी की आरती गाई गई है।
????जय सिया राम ????
–जारी रहेगी