संक्षिप्त रामायण(भार्गव)
मेघनाद द्वारा लक्ष्मण पर शक्ति बाण छोड़ना
एक-दूसरे को कोई किसी को जीत नहीं सकता। राक्षस छल-बल माया और अनीति अधर्म करता है, तब भगवान् अनन्तजी लक्ष्मणजी क्रोधित हुए और उन्होंने तुरंत उसके रथ को तोड़ डाला और सारथी को टुकड़े-टुकड़े कर दिया!
रावणपुत्र मेघनाद ने मन में अनुमान किया कि अब तो प्राण संकट आ बना, ये मेरे प्राण हर लेंगे।
तब उसने वीरघातिनी शक्ति चलाई। वह तेजपूर्ण शक्ति लक्ष्मणजी की छाती में लगी। शक्ति लगने से उन्हें मूर्छा आ गई। तब मेघनाद भय छोड़कर उनके पास चला गया।
संध्या होने पर दोनों ओर की सेनाएँ लौट पड़ीं, सेनापति अपनी-अपनी सेनाएँ संभालने लगे।
रामचंद्रजी ने पूछा- लक्ष्मण कहाँ है? तब तक हनुमान् उन्हें ले आए। छोटे भाई को इस दशा में देखकर प्रभु ने बहुत ही दुःख माना
लक्ष्मण का मूर्छित बेहोश होना
वह तेजपूर्ण शक्ति लक्ष्मणजी की छाती में लगी। शक्ति लगने से उन्हें मूर्छा आ गई। तब मेघनाद भय छोड़कर उनके पास चला गया।
संध्या होने पर दोनों ओर की सेनाएँ लौट पड़ीं, सेनापति अपनी-अपनी सेनाएँ संभालने लगे।
रामचंद्रजी ने पूछा- लक्ष्मण कहाँ है? तब तक हनुमान् उन्हें ले आए। छोटे भाई को इस दशा में देखकर प्रभु ने बहुत ही दुःख माना।
जाम्बवान् ने कहा- लंका में सुषेण वैद्य रहता है, उसे लाने के लिए किसको भेजा जाए? हनुमान्जी छोटा रूप धरकर गए और सुषेण को उसके घर समेत तुरंत ही उठा लाए।
सुषेण ने आकर श्री रामजी के चरणारविन्दों में सिर नवाया। उसने पर्वत और संजीवनी बूटी औषध का नाम बताया, और कहा कि हे पवनपुत्र! औषधि लेने जाओ।
मैं अभी लिए आता हूँ, ऐसा कहकर हनुमानजी चले। उधर एक गुप्तचर ने रावण को इस रहस्य की खबर दी