ग्राम रोजगार सेवक संघ हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के जिलाध्यक्ष मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि ग्राम रोजगार सेवकों को सेवाएं देते हुए 17 वर्ष का समय बीत चुका है। इस दौरान सेवकों ने पूरी ईमानदारी से सरकार और विभाग के सभी आदेशों का पालन किया,लेकिन दुर्भाग्य है कि आज भी यह वर्ग संविदा पर कार्य कर रहा है और इनके लिए कोई स्थायी नीति नहीं बनाई गई है। उन्होंने बताया कि ग्राम रोजगार सेवकों को समय पर वेतन नहीं मिलता। कभी तीन महीने तो कभी उससे भी अधिक समय बाद भुगतान होता है। इससे त्योहार भी फीके पड़ जाते हैं। पिछले एक साल से महंगाई भत्ता भी रोक दिया गया है और वार्षिक वृद्धि (इंक्रीमेंट) भी बंद कर दी गई है। शर्मा ने कहा कि करुणामूलक नौकरी की व्यवस्था न होने से दिवंगत जीआरएस कर्मियों के परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। हाल ही में मंडी जिला के जीत राम आपदा का शिकार हुए,कांगड़ा के अजय कुमार और शिमला जिले के एक अन्य ग्राम रोजगार सेवक की बीमारी से मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने बताया कि ग्राम रोजगार सेवकों की दो अन्य श्रेणियाँ भी गंभीर समस्याओं से जूझ रही हैं। एक श्रेणी फिक्स अमाउंट पर मात्र 6800 रुपये वेतन में तीन-चार पंचायतों का कार्य संभाल रही है,जबकि दूसरी श्रेणी के दैनिक भोगियों को अभी तक पुराने रेट पर 424 रुपये प्रतिदिन दिए जा रहे हैं, जबकि अन्य विभागों में 528 रुपये मिल रहे हैं। संघ का कहना है कि अन्य विभागों में दैनिक भोगी कर्मियों को चार वर्षों बाद नियमित किया जाता है,लेकिन मनरेगा कर्मियों को पांच वर्षों बाद भी केवल रेगुलर स्केल दिया जा रहा है, जो न्यायसंगत नहीं है। संघ जिलाध्यक्ष मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि बीते एक वर्ष से लगातार मांगें सरकार और विभाग के समक्ष उठाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने भी इन्हें जायज मानते हुए समाधान का आश्वासन दिया था,लेकिन 17 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। उन्होंने सरकार और ग्रामीण विकास विभाग से मांग की है कि लंबी सेवा अवधि को ध्यान में रखते हुए रिक्त पदों पर समायोजन कर स्थायी नीति बनाई जाए।





