December 7, 2025 11:10 am

नवरात्र के दूसरे दिन किस माता की होती है पूजा उपासना,पढ़े इस विशेषांक में

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भार्गव

शारदीय नवरात्रि का आज दूसरा दिन और इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है. माता ब्रह्मचारिणी की पूजा उपासना से वैराग्य, सदाचार, तप, संयम, त्याग और तप की वृद्धि करता है
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी के इस रूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है। ब्रह्मचारिणी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ब्रह्म के समान आचरण करने वाली।
शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन 23 सितंबर 2025 को है। इस दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी। मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र में सुशोभित हैं। माता के दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। देवी का ये स्वरूप अत्यंत ज्योतिर्मय है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इसलिए इनकी पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के समय ‘ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। यहां आप जानेंगे मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती, भोग, रंग समेत सारी जानकारी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माता अपनी तपस्या के दौरान केवल फल-फूल खाकर जीवित रहीं और कभी-कभी पत्तों का भोजन करती थीं। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्हें “ब्रह्मचारिणी” नाम से जाना गया। माता पार्वती ने अपनी निष्ठा और तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और अंततः उन्हें पति रूप में प्राप्त किया।

प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए पूजा का संकल्प लें।
मां को सफेद फूल, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें: “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” “या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
अंत में मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और उन्हें मीठा प्रसाद अर्पित करें।
माता ब्रह्मचारिणी को शक्कर, मिश्री, खीर, दूध से बने मिष्ठान्न काफी प्रिय हैं।
(मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय फूल)
सफेद गुलाब, चमेली और कमल

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