शिमला ब्यूरो
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज पर आधुनिक हिमाचल के निर्माता स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा के अनावरण के उपरांत अपने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि इस ऐतिहासिक स्थल पर हिमाचल के विकास और स्वाभिमान की प्रतिमा स्थापित हुई है। वीरभद्र सिंह वह शख्सियत थे जिन्होंने आधुनिक हिमाचल को नई दिशा दी और जनभावनाओं को सशक्त बनाया। अग्निहोत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह राजनीति के ऐसे खिलाड़ी थे जो अंतिम पारी तक ‘नॉट आउट’ रहे। वह एक सच्चे जननायक थे, जिनका जनता से भावनात्मक जुड़ाव था।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने हिमाचल के विकास, स्वाभिमान और सामाजिक न्याय के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने इस समारोह में उपस्थित हो कर वीरभद्र सिंह को जो सम्मान दिया है, उसके लिए हम उनका दिल से आभार व्यक्त करते हैं। वीरभद्र सिंह के योगदान को याद करते हुए अग्निहोत्री ने कहा कि उनके द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं आज भी प्रदेश में चल रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर शुरू की गई सस्ती राशन योजना, जिसमें दालें, चावल, गेहूं और नमक जैसी वस्तुएं दी जाती थीं, आज भी हिमाचल के हर घर को लाभ पहुंचा रही है।
उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह की सोच थी कि हिमाचल का पर्यावरण सुरक्षित रहे। इसी सोच के तहत उन्होंने लकड़ी की पेटियों की जगह गत्ते की पेटियों के प्रयोग की शुरुआत की, जो आज भी जारी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान अमूल्य रहा, जिसका अमर्त्य सेन जैसे विद्वानों ने भी अपनी पुस्तकों में उल्लेख किया है। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1971 में इसी स्थान पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया था। उन्हें पता था कि यह राज्य वित्तीय रूप से सक्षम नहीं है, फिर भी उन्होंने हिमाचल के लोगों की सामाजिक और राजनीतिक आकांक्षाओं का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार ने राज्य की नींव रखी और वीरभद्र सिंह ने उस नींव पर आधुनिक हिमाचल का निर्माण किया। अपने 50 वर्षों से अधिक के राजनीतिक जीवन में उन्होंने 14 चुनाव जीते। उन्होंने 9 बार विधायक, 5 बार सांसद, 6 बार मुख्यमंत्री और 4 बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन वीरभद्र सिंह की स्मृति और उनके अद्वितीय योगदान को नमन करने का दिन है। उन्होंने कहा कि ऐसे नेता को ही अमर कहा जा सकता है, जिनके जाने के बाद भी लोग उन्हें याद करें।





