December 8, 2025 6:43 am

नवरात्रि स्पेशल:-नियमो का पालन करना ही व्रत की सिद्धि है!!

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व्रत नियम संयम–

नियमो का पालन करना ही व्रत की सिद्धि है!!

अनेक वार जल पीने से, पान खाने से, दिन में सोने से, ओर मैथुन करने से व्रत भंग हो जाता है।

अस्कृज़्जलपणाच्च ताम्बूलस्य च भक्षणम्!
उपवासः प्रदुष्येत दिवा स्वप्नाच्च मैथुनात्!!

नोट- नमक आदि पदार्थ सर्वदा व्रत में त्याज्य है।

ये आठ व्रत के नाशक नहीं है!!

जल, फल, मूल, दूध, हविष्य (घी मात्र) ब्राह्मण की इच्छापूर्ति, गुरु का वचन तथा औषध- ये आठ व्रत के नाशक नही है!!

अष्टौ तान्यब्रतघ्नानि आपो मूलं घृतं पयः!
हविर्ब्राह्मणकाम्या च गुरौर्वचनमौषधम्!!

अष्टौ तान्यब्रतघ्नानि आपोमूल फलं पयः!
हविर्ब्राह्मणकामाय गुरौर्वचनमौषधम्!!

शास्त्रीय मार्गदर्शक..
(औषधि का तात्पर्य उपवेदोचित ओषधियों से न कि एलोपथी इत्यादि इंग्लिश दवाईंयां! आयुर्वेद में भी भक्ष्याभक्ष्य ओषधिविचार करके ही द्विजों के लिये ग्राह्य हैं।)

दश नियम आवश्यक है अन्यथा व्रत भंग समझे!!

क्षमा दया सत्य दान शौच इन्द्रिय संयम देवपूजा अग्निहोत्र सन्तोष तथा चोरी न करना- ये दश नियम सम्पूर्ण व्रतों में आवश्यक माने गये है!!

क्षमा सत्यं दया दानं शौचमिन्द्रियनिग्रहः!
देवपूजाग्निहरणं सन्तोषो स्तेय मेव च!!
सर्वव्रतेष्वयं धर्म: सामान्यो दशधा स्मृत:!!

उपवास करने वाले मनुष्य को कांसे का वर्तन, मसूर, चना, साग, मधु, पराया अन्न, तथा स्त्री संग का त्याग करना चाहिए।।

कांस्यं मांसं मसूरं च चणकं कोरदूषकं!
शाकं मधुपरान्नं च त्यजेदुपवसन् स्त्रियम्!!

व्रती को फूल, अलंकार, सुन्दर वस्त्र, सुगन्ध, दातुन आदि का भी त्याग कर देना चाहिए!!

पुष्पालंकारवस्त्राणि धूप गन्धादि लेपनम्!
उपवासे न शस्यन्ति दन्तधावनमंजनम्!!

उपवास के दिन शरीर मे तेल लगाकर नहाना छोड़ दे!
–क्योकि यह कुरूप बनाने वाला(सौंदर्य का विनाशक)है!!

उपोसितैर्नरैस्तस्मात् स्नानमभ्यंगपूर्वकम्!
वर्जनीयं प्रयत्नेन रूपघ्नं तत्परं नृप!

उपवास के दिन लकड़ी की दातुन नही करनी चाहिए- अन्यथा नरक की प्राप्ति होती है।।
किसी भी प्रकार के प्लास्टिक से दन्ता धावन न करे!!

उपवासदिने यस्तु दन्तधावनकृन्नरः!
स घोरं नरकं याति व्याघ्रभक्षश्चतुर्युगम्!!


नोट… जो शास्त्रीय विधि सिद्धान्त से व्रत उपवास करते हैं ये लेख उनके लिए है.. अन्य लोगो के लिए उपयोगी नहीं।

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