April 29, 2025 6:02 pm

संक्षिप्त रामायण में आज पढ़ें श्री रामजन्म

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संक्षिप्त रामायण(भार्गव)

गुरु की बात सुनते ही हर्ष हो गया है। दशरथ जी कहते है गुरुदेव अब क्या करना है। गुरुदेव बोले की तुमको अब कुछ नही करना है जो कुछ करना है मुझे करना है।

तुरंत श्रृंगी ऋषि को बुलाया गया है और पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया गया है। जैसे ही यज्ञ पूर्ण हुआ है। अग्नि देव हाथ में चरु लेकर प्रकट हो गए है। और दशरथ जी से कहते है- वशि ष्ठ जी ने ह्रदय में जो कुछ विचार था, तुम्हारा वह सब काम सिद्ध हो गया है। और कहा है की तीनो रानियों में आप इस प्रशाद को बाँट दीजिये।

तीनों रानियों को बुलाया गया है। उस प्रशाद का बीच में से हिस्सा किया गया है। आधा हिस्सा पूरा महारानी कौसल्या को दे दिया गया है। अब बाकि बचे आधे के 2 हिस्से किये गए है। उसमे से एक हिस्सा पूरा-पूरा कैकई को मिला है।

अब एक हिस्सा जो बचा है उसके भी 2 हिस्से किये गए है। और एक हिस्सा कौसल्या को दिया है और कौसल्या जी ने अपने हाथ से सुमित्रा जी को दिया है जिससे लक्ष्मण जी प्रकट हुए है। और एक हिस्सा ककई जी को दिया है और कैकई ने सुमित्रा को खिलाया है। जिससे शत्रुघ्न प्रकट हुए है।

इस प्रकार सभी रानियां गर्भवती हुई है। जिस दिन से भगवान गर्भ में आये है चारो और सुख और सम्पति छा गई है।

योग, लगन, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल को गए है। और वो समय भी आ गया है।

नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा ।

पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित् मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी, न धूप थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था।

शीतल, मंद और सुगन्धित वायु चल रही है। सभी देवता भगवान की स्तुति करके अपने-अपने लोकों में पधारे है। और उसी समय आज अवधपुरी के दिव्य भवन के दिव्य कक्ष में भगवान श्री राम प्रकट हो गए है। बोलिए भगवान श्री राम की जय।

????जय सियाराम ????
जारी रहेगी

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