अर्की
लक्ष्य कॉन्वेंट स्कूल के सभी विद्यार्थियों को ऐतिहासिक स्थल बाड़ीधार का प्रिंसिपल डॉ. कुसुम गुप्ता और स्कूल शिक्षकों संग शैक्षणिक भ्रमण कराया गया। जहां विद्यार्थियों ने खेल खेले, बाड़ीधार के हरे-भरे जंगल की गोद में गुणवत्तापूर्ण समय बिताया तथा देव स्थल बाड़ीधार के इतिहास के बारे में जाना की बाड़ीधार 1972 तक जिला महासू (अब शिमला) का हिस्सा था, जो पहले अर्की (भागल) तहसील में आता था, बाद में 1972 में जिला सोलन बना और इसे सोलन जिले में मिला दिया गया। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के आखिरी साल यहीं पर पहाड़ी और जंगल की गुफाओं में बिताए थे। यहां भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर स्थित है, स्थानीय लोग उन्हें बड़ादेव कहते हैं और इस चोटी का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया है।ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या के अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए इस स्थान पर आए थे।
बाड़ीधार एक मेले के लिए प्रसिद्ध है जो हर साल 14 जून को आयोजित किया जाता है। यह मेला पांडवों सहित भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस स्थान पर बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति में पांडवों की एक सुंदर यात्रा निकाली जाती है।





