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दाड़लाघाट महाविद्यालय में “पहाड़ों में विकास: मुद्दे, चुनौतियां और समाधान” विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज

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अर्की आजतक

दाड़लाघाट

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के मौके पर सोमवार को राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट में दाड़लाघाट महाविद्यालय और सोशियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में “पहाड़ों में विकास: मुद्दे, चुनौतियां और समाधान” विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज हुआ। सम्मेलन में सरदार पटेल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देव दत शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। प्रो देव दत शर्मा ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या आज संपूर्ण विश्व में विकराल रूप धारण कर चुकी है इस समस्या से निजात पाने के लिए सभी को पर्यावरण का संरक्षण करना होगा। सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली से प्रो क्विनी प्रधान ने कहा कि भारत के सभी पर्वतीय राज्य में क्लाइमेंट चेंज की समस्या से अछूते नहीं है। सम्मेलन में उद्घाटन वक्ता के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय से प्रो गुरमीत सिंह ने साहित्य और पर्यावरण के समन्वय की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कबीर की काव्य से लेकर जयशंकर प्रसाद के काव्य का उदाहरण देते हुए कहा कि समकालीन साहित्यकार किस भांति पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी लिखने के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने सभी साहित्यकारों की चिंता को व्यक्त किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के महान साहित्यकार एसआर हरनोट का उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल वासी भाग्यशाली हैं कि इस राज्य में हरनोट जैसे साहित्यकार पर्यावरण की संरक्षण के लिए साहित्य सृजन कर रहे हैं
समकालीन सम्मेलन में आए सभी मेहमानों का स्वागत प्राचार्या डॉ रुचि रमेश द्वारा किया गया। प्राचार्या रुचि रमेश ने अपने सम्बोधन में कहा कि दाड़लाघाट महाविद्यालय ग्रामीण क्षेत्र में स्थित महाविद्यालय है,इस महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन का आयोजन होना पूरे क्षेत्र वासियों के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इस आयोजन को इस स्तर तक पहुंचाने के लिए सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया तथा कहा कि यह सम्मेलन का आगाज सभी के सहयोग से हो रहा है,इसके लिए उन्होंने सभी अतिथियों,प्रतिभागियों तथा मुख्य अतिथियों का आभार जताया। इस मौके पर सोशियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ हिमाचल प्रदेश के आयोजन सचिव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह तीसरा सम्मेलन है इस सम्मेलन की आधार स्तंभ डॉक्टर रुचि रमेश हैं जो इस समिति के प्रधान भी हैं। उन्होंने सभी अतिथियों का अपनी ओर से आभार व्यक्त किया। पिछले दिनों हुई आपदा ने हिमाचल के जन जीवन पर बहुत गहरा असर डाला है। इस आपदा ने तमाम बुद्धिजीवियों के समक्ष कई सवाल खड़े कर दिए है। इन्हीं सवालों का यथार्थपरक वैज्ञानिक समाधान ढूंढने के लिए दाड़लाघाट महाविद्यालय में सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह सम्मेलन मुख्य रूप से वर्तमान समय में विकास के नाम पर हो रहे पर्यावरण क्षरण और समाधानों पर केंद्रित रहेगा। पहाड़ी पारिस्थितीक तंत्र किस तरह विकास की भेंट चढ़ रहा है और नित दिन आपदा का ग्रास बन रहा है,इन सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए देश विदेश के शिक्षाविद,वैज्ञानिक,साहित्यकार और शोधार्थी शामिल हुए। सम्मेलन के पहले दिन 10 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में 100 से अधिक शोध आलेख प्रस्तुत किए गए। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ रुचि रमेश ने बताया कि प्रस्तुत शोध आलेख भविष्य में आपदा नियंत्रण नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सम्मेलन की परिचर्चा में शामिल किए गए सभी विषय वर्तमान समय में प्रासंगिक है और आम जनों से लेकर सरकारी तंत्र में जागरूकता का प्रसार प्रचार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगें। देश विदेश से आए आगुंतकों को हिमाचली संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया गया। सांस्कृतिक संध्या में छात्र छात्राओं द्वारा पहाड़ी नाटी और गिद्दा प्रस्तुत किया गया।

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