May 25, 2025 1:36 am

मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की ब्लॉक इकाई कुमारसैन की हुई बैठक,20 मई की हड़ताल पर विस्तृत चर्चा

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मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की ब्लॉक इकाई कुमारसैन की बैठक यूनियन अध्यक्ष टेकचंद शर्मा की अध्यक्षता में कुमारसैन में सम्पन्न हुई जिसमें 20 मई की हड़ताल पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

बैठक को सम्बोधित करते हुए सीटू जिला अध्यक्ष कुलदीप सिंह, यूनियन अध्यक्ष टेक चंद शर्मा और महासचिव जगदीश, उपाध्यक्ष सुभद्रा ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मिड डे मील वर्कर्स की मांगों व मोदी सरकार की मिड डे मील वर्कर्स विरोधी नीतियों के खिलाफ मिड डे मील ब्लॉक इकाई कुमारसैन 20 मई 2025 को एक दिवसीय देशव्यापी आम हड़ताल में शामिल होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कार्यरत 21 हजार मिड डे मील कर्मियों की स्थिति बेहद दयनीय है। इनके लिए मात्र 4500 रुपये प्रतिमाह वेतन घोषित किया गया है जोकि कई महीनों तक नहीं मिलता है। पिछले 2 महीने से वेतन न मिलने से मिड डे मील कर्मियों को अपना जीवनयापन करना बेहद मुश्किल हो रहा है। मिड डे मील वर्करज यूनियन सम्बन्धित सीटू द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका पर प्रदेश उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने वर्ष 2019 व डबल बेंच ने वर्ष 2024 में फैसला दिया है कि मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन दिया जाए परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक इस फैसले को लागू नहीं किया गया है व इस मसले को माननीय सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर अपनी मिड डे मील वर्कर्स विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। मिड डे मील कर्मियों को साल में एक भी छुट्टी नहीं दी जाती है। उन्हें एमरजेंसी, बीमारी व पारिवारिक कार्यक्रमों में छुट्टी करने पर अपनी जगह रिलीवर भेजना पड़ता है जिसकी पांच सौ से सात सौ रुपये की दिहाड़ी का खर्चा भी उन्हें खुद ही उठाना पड़ता है जबकि उन्हें स्वयं अपने कार्य की दिहाड़ी रिलीवर को दी जाने वाली दिहाड़ी का एक चौथाई डेढ़ सौ रुपये ही दी जाती है। प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक के लिखित आदेशों के बावजूद मिड डे मील कर्मियों से किचन गार्डन, झाड़ियां काटने, साफ सफाई, पानी की टंकियां साफ करवाने व अन्य कई तरह का अतिरिक्त कार्य करवाया जाता है जिसका उन्हें कभी अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 व वर्ष 2024 में माननीय उच्च न्यायालय ने मिड डे मील कर्मियों को 10 महीने के बजाए 12 महीने का वेतन देने का निर्णय सुनाया है। परन्तु माननीय उच्च न्यायालय के फैसले को अभी तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की है कि सरकार द्वारा इस फैसले को लागू किया जाए ताकि प्रदेश के हजारों मिड डे मील कर्मियों को आर्थिक लाभ मिल सके। प्रदेश सरकार द्वारा कम बच्चों की संख्या वाले स्कूलों को बन्द करने व कुछ स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने पर इन स्कूलों में कार्यरत मिड डे मील वर्करज को भी अन्य कर्मचारियों की तर्ज पर अनिवार्य तौर पर अन्य नजदीकी स्कूलों में समायोजित किया जाए। मिड डे मील कर्मियों को प्रतिमाह पहली तारीख को वेतन का भुगतान किया जाए।मिड डे मील मजदूरों को न्यूनतम वेतन 12000रुपये दिया जाए, उन्हें वेतन स्लिप दी जाए ताकि उन्हें अपने वेतन की सही जानकारी मिल सके। उन्हें आंगनबाड़ी की तर्ज पर एक साल में कम से कम बीस छुट्टियां दी जाएं। उन्हें आंगनबाड़ी व आशा कर्मियों की तर्ज पर साल में दो वर्दी दी जाए। उनसे चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को खाना बनाने का कार्य न करवाया जाए। यदि आवश्यक हो तो उन्हें इस कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। महिला मिड डे मील कर्मियों को राज्य में अन्य महिला कर्मचारियों की तर्ज पर रक्षाबंधन, करवाचौथ व भाई दूज की वेतन सहित छुट्टियां दी जाएं। साधारण अथवा क्लस्टर स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने पर अतिरिक्त मिड डे मील कर्मियों की नियुक्ति की जाए।
इस बैठक में रमा,पूनम, सरोज, रीता, सीमा, प्रीति, बबली , लायक राम, उषा, रीमा, बबिता, अनिता, हेमलता, रिपना, गौरा, शीतल,सीमा, शुकान्तला, शांति, सुनीता, रीता, गिरजा, हिमन्द्री आदि शामिल रहे

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