कुनिहार
अक्षरेश शर्मा
विकास खंड कुनिहार के कोठी पंचायत के शाकली गांव मे जियालाल के घर चल रही श्री मदभागवत महापुरान कथा के अंतिम दिन पीठासीन ब्यास संदीप वशिष्ठ ने समयनतक मणि व सुदामा से मित्रता की सुंदर कथा सुनाते हुए कहा ,कि ऋषि सुखदेव ने राजा परीक्षित से कहा कि राजा सत्रजीत के पास स्म्यंतक मणि थी ,जिसे उसके भाई ने रात को चुरा लिया और उसका झूठा आरोप श्री कृष्ण पर लगा दिया।कृष्ण मणि को ढूँढने जंगल मे एक गुफा मे पहुँचे जहा जामवंत थे।जामवंत के साथ इस गुफा में 28 दिनों तक श्री कृष्ण जी का युद्ध हुआ व जामवंत ने अपनी पुत्री का विवाह श्री कृष्ण के साथ किया और स्मयांतक मणि उन्हे सौंप दी। कृष्ण ने उस मनी को राजा स्त्रजीत को दिया इस तरह से उन पर लगा झूठा कलंक मिटा।
इस तरह सुक देव जी ने राजा परीक्षित को सुदामा की मित्रता सहित अनेक कथाएँ सुनाई तथा परीक्षित को मृत्यु के भय से मुक्त किया । उन्होंने राजा से कहा कि मृत्यु अटल है जो इस संसार मे आया है उसे एक दिन जाना ही है। श्री कृष्ण जी जब मनुष्य रूप मे आये तो उन्हे भी यह देह त्यागनी पड़ी।
आज की कथा मे सेंकडो भगतों ने कथा को श्रवन किया। इस अवसर पर अनिल गर्ग, राकेश ठाकुर, विजय, सुभाष, इंद्र पाल शर्मा, ओम प्रकाश गर्ग, चेत राम तनवर, राजेश जोशी, व अन्य विशेष रूप से उपस्थिति रहे।