कुनिहार
हाटकोट कुनिहार बाजार मे जितेंद्र कुमार झांजी परिवार मे चल रही श्रीमद् शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन कथा ब्यास आचार्य नागेंद्र भारद्वाज ने शिव पार्वती विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन सुनाया। उन्होंने बताया कि पर्वत राज महाराजा शैल की पत्नी मैना ने एक पुत्री को जन्म दिया इस अवसर पर महृषि नारद जी के वहा आने पर शैल राजा ने उनका स्वागत सत्कार किया और अपनी पुत्री के भविष्य के बारे मे उनसे पूछा तो नारद जी ने बताया कि यह बहुत ही भाग्यशाली, विलक्षण प्रतिभा वाली है। इसका विवाह एक जोगी बाबा से होगा। उधर भोले बाबा अनेक वर्षों से अपनी घोर तपस्या मे लीन है।एक विशाल काय महाशक्ति शाली राक्षस सभी देवताओ को पराजित करके तांडव मचा रखा सभी देवता ब्रह्मा के पास जाकर अपनी व्यथा सुनाते हैं।ब्रह्मा ने कहा कि इसके विनाश के लिए शिवजी को विवाह करना होगा और उनसे उत्पन्न पुत्र ही इस राक्षस का वध कर सकता है।इसके लिए शिवजी को मनाना होगा। देवताओ ने शिव की तपस्या को भंग करने के लिए कामदेव को भेजा,लेकिन शिव ने क्रोधित होकर तीसरा नेत्र खोल उसको भस्म कर दिया। सभी देवता शिव की शरण मे पहुँच कर उन्हे सारा वृतान्त सुनाया,जिस पर शिवजी विवाह करने को तैयार हो गए। उधर पार्वती शिव को पाने के लिए घोर तप कर रही है ।सप्तऋषियो ने महा राज शैल को बताया कि शिव विवाह को तैयार हो गए है ।लगन मुहूरत दिन निश्चित किया । सभी देवता अपने अपने वाहन मे और शिव अपने गणों के साथ नंदी पर सवार होकर शैल नगरी पहुँचे और इस प्रकार शिव पार्वती का विवाह संपन्न हुआ।से दौरान कथा पंडाल में हजारों शिवा भक्तों ने कथा का आनंद लिया ।
