शिमला
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा संजौली,शिमला में आयोजित सात दिवसीय श्री राम कथा के प्रारम्भ में दीपेश डोगरा और हरीश शर्मा ने परिवार सहित पूजन किया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास मानस मर्मज्ञा साध्वी सुश्री सौम्या भारती ने ‘दो वरदान’ प्रसंग के माध्यम से बताया कि किस प्रकार श्रीराम को सबसे अधिक स्नेह करने वाली कैकेयी मंथरा के विचारों में फंस कर महाराज दशरथ से श्रीराम के लिए वन व भरत के लिए राज्य की मांग करती है और महाराज दशरथ को न चाहते हुए भी अपने दिल पर पत्थर रख भेजना पड़ा। देखते ही देखते राजभवन की खुशियों से भरा वातावरण कुछ ही पलों में मातम में बदल जाता है। साध्वी जी ने बताया कि कैकेयी ने श्रीराम पराया मान वन में भेज दिया व भरत को अपना समझ सिहासन मांग लिया एवं यह अपने पराये का मंत्र उसे मंथरा से मिला। यही मंत्र आज घर-घर में भी चल रहा है कि यह अपना है वो पराया है। परन्तु आज तक इंसान यही नहीं समझ पाया कि अपना कौन है व पराया कौन है। इस नश्वर संसार को इंसान अपना समझ रहा है परन्तु वह ईश्वर जिसने इंसान को जीवन दान दिया, जो शक्तिरूप में उसके भीतर रहता है, जो उसका वास्तविक साथ निभाने वाला है, जो उसका अपना हैै उसे ही पराया समझ लिया।
आगे साध्वी जी ने अपने विचारों में यह भी बताया कि जब व्यक्ति के जीवन में लोभ की प्रवृति बढ़ जाती है, ईष्यारूपी मंथरा घर कर लेती है तो वह हमारे जीवन में राम को कोसों दूर कर देती हैै। जैसा कि आज मंथरा के कुविचारों ने कैकेयी के मन को बदल दिया। जिस कारण उसने प्राणो से प्रिय राम को वन में जाने का आदेश दे दिया। माता पिता की आज्ञा को शिरोधार्य करते हुए, माँ कौशल्या से जाने की अनुमति लेते हैं। जैसे ही लक्षमण व श्री सीता जी को पता चलता है तो वे भी वनवासी वेश धारण कर चल पड़े। खुशियों से भरी अयोध्या में उदासी छा गई व महाराज दशरथ राम का वियोग सहन न करते हुए मृत्यु को प्राप्त हो गए।
श्री राम कथा में सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश रामकृष्ण शर्मा,पूर्व प्रधान व्यापार मण्डल शिमला इंद्रजीत सिंह, पार्षद उमंग शर्मा बंगा,सीमा विज़न और दीपिका शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
स्वामी धीरानन्द जी ने “ऑपरेशन सिन्दूर” की सफलता के लिए भारतीय सेना की सराहना की और जवानों के उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना की। सन्त समाज द्वारा “मेरा रंग दे बांसती चोला” और “दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए” देशभक्ति गीतों का गायन किया गया जिस पर सभी लोग झूमने लगे।
पावन आरती के बाद भंडारे का वितरण किया गया।