ग्राम पंचायत पलानिया के गांव गलोग, तहसील अर्की में महिलाओं के लिए एक विशेष एचआईवी और सिफलिस जागरूकता अभियान चलाया गया। अभियान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एचआईवी और सिफलिस जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक किया गया।
इस अवसर पर परामर्श विशेषज्ञ डॉ. विजय शांडील ने महिलाओं को बताया कि एचआईवी संक्रमण निम्नलिखित कारणों से हो सकता है जैसे कि जब व्यक्ति असुरक्षित यौन संबंध बनाता है, संक्रमित सुई या सिरिंज का उपयोग करता है, संक्रमित रक्त या रक्त पदार्थ चढ़ाए जाते हैं, संक्रमित माता से गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान शिशु को संक्रमण हो सकता है।
उन्होंने महिलाओं को सलाह दी कि वे अपने साथी के प्रति वफादार रहें, संक्रमित सुई और सिरिंज का उपयोग न करें, और टैटू बनवाते समय विशेष सतर्कता बरतें — यह सुनिश्चित करें कि टैटू बनाने वाला व्यक्ति पहले से उपयोग की गई सुई का दोबारा उपयोग न करे, क्योंकि ऐसा करने से एचआईवी संक्रमण का खतरा हो सकता है।
उन्होंने यह भी समझाया कि रक्त और रक्त उत्पाद केवल लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक से ही लिए जाने चाहिए, क्योंकि वहाँ रक्त को चढ़ाने से पहले पाँच बीमारियों — हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, मलेरिया, सिफलिस और एचआईवी — की जांच की जाती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विवाह से पहले युवक और युवती को एचआईवी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। यदि दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तभी विवाह करना चाहिए। यदि किसी एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो सुरक्षा की दृष्टि से विवाह नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर किसी युवती की शादी एचआईवी पॉजिटिव युवक से हो गई और उसे पता न हो, तो वह महिला गर्भधारण के दौरान संक्रमित हो सकती है, और उसका बच्चा भी संक्रमण का शिकार हो सकता है। इसलिए संतान को जन्म देने से पहले एचआईवी जांच कराना अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. शांडील ने बताया कि एचआईवी जांच सुरक्षा की दृष्टि से करानी चाहिए और यह जांच सिविल अस्पताल अर्की में निःशुल्क की जाती है। जांच करवाने वाले व्यक्ति की पहचान गोपनीय रखी जाती है। इस जांच हेतु आप परामर्श विशेषज्ञ से कमरा नंबर 208 में संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं से आग्रह किया कि वे एचआईवी और सिफलिस की जांच अवश्य करवाएं ताकि संतान सुरक्षित रहे।
उन्होंने यह भी बताया कि एचआईवी संक्रमण मच्छर के काटने, साथ रहने, एक ही बर्तन या शौचालय के उपयोग से नहीं होता। इसलिए एचआईवी से संक्रमित लोगों से भेदभाव नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें सहयोग देना चाहिए ताकि वे सुरक्षित व्यवहार अपनाकर दूसरों को भी संक्रमण से बचा सकें।
इस अभियान के दौरान लोगों को तपेदिक (टीबी) और इसके लक्षणों के बारे में भी जागरूक किया गया। उन्हें बताया गया कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहे, बुखार आए, रात में पसीना आए या वजन घटे तो ये टीबी के लक्षण हो सकते हैं। लोगों को सलाह दी गई कि वे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर टीबी की जांच अवश्य करवाएं ताकि समय रहते इलाज हो सके।
कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर ज्योति चौहान ने इस अभियान को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस जागरूकता अभियान में कुल 40 महिलाओं ने भाग लिया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से यह भी आग्रह किया कि अगला जागरूकता अभियान 10 से 19 वर्ष की आयु के किशोरों और किशोरियों के लिए आयोजित किया जाए ताकि वे भी एचआईवी और टीबी जैसे संक्रमणों से अपना बचाव कर सकें। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आशावर्कर अरुणा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कांता, सहायक मीना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।