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कुनिहार:- प्रेम व सौहार्द के गीतों से कण्डला गावं के ग्रामीणों ने रोपे धान की पौध।

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अर्की आज तक
कुनिहार:- (अक्षरेश शर्मा)
आज की भाग दौड़ वाले जीवन मे मानव के पास वक्त की कमी नजर आती है।चाहे शहर हो या गावं हर जगह मानव अपने सामाजिक दायित्व को दरकिनार करते नजर आते है।पैसों के पीछे की दौड़ में लोग जंहा अपने पारिवारिक रिश्तों में किसी आयोजन में भी मात्र औपचारिकता निभाते नजर आते है सामाजिक कार्य तो लोगो के लिये दूर की बात है। परन्तु विकास खण्ड कुनिहार के तहत गावं कण्डला में आपसी सौहार्द व प्रेम ग्रामीणों में आज भी जीवंत है।जिला सोलन का यह गावं आज की भाग दौड़ वाली जिन्दंगी में लोगो को आपसी मेलजोल का सुंदर सन्देश देता नजर आता है।
कुनिहार से करीब 8 किलोमीटर दूर इस गावं के अधिकांश ग्रामीण खेती बाड़ी में कड़ी मेहनत करते हुए नगदी फसलें उगा कर जीवन यापन करते है। पहले ग्रामीण धान की खेती भी करते थे,जोकि करीब 25-30 वर्षो से बिल्कुल ही बंद हो गई थी।गावं के युवा उद्यमी किसान हीरा लाल नगदी फसलों के साथ ही इस बार धान की खेती का भी इरादा बनाया।गावं की महिलाओं ने सौहार्द व प्रेम भरे गीतों को गुनगुनाते हुए धान की रुपाई की।इस दौरान गावं के बड़े बुजुर्गों ने भी सहयोग देकर आपसी प्रेम का संदेश दिया।बच्चों ने भी धान रुपाई को कैसे किया जाता है जाना व समझा।

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