अर्की
नागरिक चिकित्सालय अर्की में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुक्ता रस्तोगी के नेतृत्व में एक विशेष कम्युनिटी बेस्ड स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। इस कैंप का उद्देश्य होमगार्ड जवानों को गंभीर व संचारी रोगों के प्रति जागरूक करना, समय पर जांच सुनिश्चित करना तथा उनके समग्र स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन करना था। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के परामर्श विशेषज्ञ एवं तकनीकी स्टाफ ने मिलकर सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित परामर्श विशेषज्ञ डॉ. विजय कुमार शांडिल, जो कि एचआईवी काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सर्विसेज, नागरिक चिकित्सालय अर्की में सेवाएं दे रहे हैं, ने एचआईवी/एड्स, ट्यूबरकुलोसिस (टीबी), यौन संचारित रोग (STIs), हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) तथा मधुमेह जैसे गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों पर विस्तृत जानकारी प्रदान
जिसमें एचआईवी/एड्स विषय पर जागरूकता
डॉ. विजय शांडिल ने होमगार्ड अधिकारियों को संबोधित करते हुए एचआईवी/एड्स के कारण, लक्षण, संक्रमण के तरीके, बचाव के उपाय एवं उपचार के वर्तमान प्रावधानों के बारे में सरल भाषा में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एचआईवी संक्रमण किसी के भी साथ हो सकता है और समय पर जांच एवं उपचार से व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एचआईवी जांच पूर्णतः गोपनीय होती है और किसी भी व्यक्ति की जानकारी बिना उसकी अनुमति के साझा नहीं की जाती। इस प्रकार की गोपनीयता नीति से संक्रमित व्यक्तियों को समय पर इलाज के लिए प्रेरणा मिलती है। उन्होंने बताया कि टीबी यानी तपेदिक एक गंभीर लेकिन पूर्णतः इलाज योग्य रोग है। यह रोग विशेषकर फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इसकी पहचान के लिए सिम्पटमेटिक स्क्रीनिंग, बलगम जांच व एक्स-रे जैसी जांचें आवश्यक हैं। उपस्थित अधिकारियों को टीबी के शुरुआती लक्षण जैसे—लगातार खांसी, बुखार, वजन कम होना आदि के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने
हेपेटाइटिस बी और सी के बारे में बताया कि दोनों ही जिगर को प्रभावित करने वाले खतरनाक वायरल संक्रमण हैं। ये संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध एवं संक्रमित सुई के माध्यम से फैल सकते हैं। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए टीकाकरण उपलब्ध है जबकि हेपेटाइटिस सी का भी आधुनिक चिकित्सा के माध्यम से उपचार संभव है। प्रारंभिक जांच के बिना यह रोग वर्षों तक बिना लक्षण के रह सकता है और लिवर सिरोसिस अथवा कैंसर का कारण बन सकता है।
इस अवसर पर डॉ. शांडिल ने विभिन्न प्रकार के यौन संचारित रोग जैसे सिफिलिस, गोनोरिया, क्लैमिडिया, हर्पीस आदि की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना, तथा संक्रमण के लक्षणों की अनदेखी करना रोग के प्रसार का प्रमुख कारण है। समय पर जांच, परामर्श एवं उपचार से इन रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने गैर-संक्रामक रोगों की श्रेणी में आने वाले उच्च रक्तचाप व मधुमेह पर भी विस्तृत जानकारी दी गई। अधिकारियों को इन रोगों के कारण, लक्षण, बचाव के उपाय व जीवनशैली में आवश्यक सुधार की सलाह दी गई।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन मनीष कुमार की अगुवाई में एचआईवी, सिफिलिस, हेपेटाइटिस बी एवं हेपेटाइटिस सी की ऑन-साइट जांच की गई। इस शिविर में कुल 46 होमगार्ड अधिकारियों ने स्वेच्छा से अपनी जांच करवाई, जो कि स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
इसके अतिरिक्त सभी अधिकारियों की टीबी के लिए स्क्रीनिंग की गई, जिसमें प्रारंभिक लक्षणों की पहचान एवं आवश्यक जांच प्रक्रिया अपनाई गई। स्क्रीनिंग के बाद जिन अधिकारियों को फॉलोअप जांच की आवश्यकता थी, उन्हें संबंधित विभागों में रेफर किया गया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के सफल आयोजन में योगेंद्र गौतम एवं श्यामलाल शांडिल ने विशेष सहयोग प्रदान किया। दोनों अधिकारियों ने न केवल कार्यक्रम के समन्वय में सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि प्रतिभागियों को भागीदारी के लिए प्रेरित भी किया।
इस प्रकार के स्क्रीनिंग कैंप सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों एवं सुरक्षाबलों के बीच रोकथाम आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देते हैं। यह कार्यक्रम न केवल स्वास्थ्य जांच की सुविधा देता है, बल्कि लोगों के मन से जांच व बीमारी के प्रति भय को भी समाप्त करता है।
डॉ. विजय कुमार शांडिल ने कहा कि
समाज के प्रत्येक वर्ग को, विशेषकर सुरक्षाबलों व सेवा क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को समय-समय पर जांच करवानी चाहिए ताकि हम न केवल अपनी सेहत सुरक्षित रख सकें बल्कि समाज को भी सुरक्षित और जागरूक बना सकें।
नागरिक चिकित्सालय अर्की द्वारा आयोजित यह स्वास्थ्य शिविर न केवल चिकित्सा सुविधा की एक मिसाल रहा, बल्कि यह जन-जागरूकता, आत्म-स्वास्थ्य परिक्षण और सामूहिक उत्तरदायित्व का भी प्रतीक बना। इस प्रकार के शिविर नियमित रूप से आयोजित किए जाने चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँच सकें।