23/10/2024 2:08 am

खण्डित प्रतिमाओं का पूजन नहीं करना चाहिये-श्री शशांक कृष्ण कौशल जी

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कुनिहार:- पंचायत पट्टा बरावरी के प्राचीन श्री दुर्गा माता मंदिर में समस्त ग्रामवासियों के सौजन्य से इस वर्ष “श्रीमद्देवी भागवत कथा”का आयोजन किया गया है जिसमें पधारे श्रद्धेय श्री शशांक कृष्ण कौशल जी ने कथा के तीसरे दिवस विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुऐ बताया कि देवी के वर्ष में चार नवरात्रे आते हैं जिसमें 2 प्रगट व 2 गुप्त हैं।शरद ऋतु व वसन्त ऋतु देवी की प्रिय ऋतु हैं।इस काल में देवी की उपासना से अवश्य मनइच्छित फल की प्राप्ति होती है।कन्यापूजन पर प्रकाश डालते हुये उन्होंने कहा कि 2 से 10 वर्ष की ही कन्या के पूजन का विधान है।एक वर्ष की कन्या का पूजन इसलिये नहीं किया जाता क्योंकि “परमज्ञा तु भोगानां गन्धादीनां च बालिका” उसे रस और गन्ध का अनुभव नहीं होता और 10 वर्ष तक कि बालिका कन्या कहलाती है।देवी की उपासना मूर्ति,यन्त्र अथवा शालिग्राम में करनी चाहिये पर घर में और गाँव में खण्डित ग्रन्थ और मूर्ति आदि की पूजा कदापि नहीं करनी चाहिये क्योंकि ऐसा करने से पुण्य की हानि होती है।उन्होंने श्री सीता जी के काली रूप धारण करने की अद्भुत लीला सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया।उनके साथ पधारी संगीत मण्डली ने “मैं तेरे बिन रह नहीं सकदा माँ” “उच्चेयां पहाड़ां लाया डेरा” और “मेरे मन में बसी हो बसी रहना” जैसे भजन गाकर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।कथा समिति के प्रधान श्रीराम कौशल ने बताया कि इस वर्ष भी कथा का आयोजन किया गया है जो 14 मार्च तक चलेगी अतः सभी क्षेत्रवासी बढ़चढ़कर इसमें भाग लें।

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