दाड़लाघाट, 23, अक्टूबर, 2025, अंबुजा फाउंडेशन एक स्वतंत्र अखिल भारतीय सामाजिक विकास संगठन जो नाबार्ड के सहयोग से ग्रामीण समुदायों में समृद्धि लाने के लिए समर्पित है ने हिमाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण आर्थिक पुनरुद्धार प्रयासों का नेतृत्व किया है,सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया है,जल सुरक्षा और कृषि उत्पादकता में सुधार किया है।वर्ष 2012 से इन पहलों के अंतर्गत दाड़लाघाट और नालागढ़ के 167 गांवों के 9700 किसानों को लाभान्वित किया है जिससे सीमांत किसानों और ग्रामीण परिवारों के लिए सतत विकास और समृद्धि को बढ़ावा मिला है।हिमाचल प्रदेश के सोलन में अंबुजा फाउंडेशन ने नाबार्ड के सहयोग से जलधाम और जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के अंतर्गत हुई प्रगति का आकलन करने के लिए डेलॉइट को भी शामिल किया।तीसरे पक्ष के अध्ययन में पाया गया कि परियोजनाओं के अंतर्गत क्षेत्र में जल सतह का 8200 वर्ग मीटर से अधिक का विस्तार किया गया जिससे जल संचयन संरचनाओं के कार्यान्वयन से जल सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और जल विज्ञान और मिट्टी की नमी को नया आकार भी मिला।
अंबुजा फाउंडेशन की सीईओ पर्ल तिवारी ने कहा हमारी सफलता का केंद्र सामुदायिक सहभागिता दृष्टिकोण है जो स्थानीय लोगों को निर्णय लेने और परियोजना प्रबंधन में सहायता करता है।उनकी सक्रिय भागीदारी और क्षमता निर्माण के साथ हम इन पहलों की दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करते हैं।कृषि उत्पादकता में वृद्धि के परिणामस्वरूप जलधाम परियोजनाओं के माध्यम से किसानों की सकल आय में 59प्रतिशत से 137 प्रतिशत की और अंबुजा फाउंडेशन के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन पहलों के माध्यम से 54 प्रतिशत से 84 प्रतिशत की वृद्धि हुई।इन पहलों के तहत पारंपरिक सिंचाई चैनलों या कुहलों को बहाल किया गया जिससे जल प्रबंधन प्रथाओं में काफी सुधार हुआ। बौरी (पारंपरिक हिमालयी झरने)के सूखने की प्रक्रिया में फाउंडेशन के स्प्रिंग शेड प्रबंधन प्रयासों ने 27 झरनों को पुनर्जीवित किया। 2012 से फाउंडेशन ने 55 चेकडैम,90 रिसाव तालाब,183 वर्षा जल संचयन संरचनाएं,152 कृषि तालाब और 52 जल भंडारण टैंकों के निर्माण में सहायता की है जिससे 9055 से अधिक कृषक परिवारों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित हुई है और कुल 41571 व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं।
हिमाचल प्रदेश ने फसल विविधीकरण को प्राथमिकता दी है जिससे किसान पारंपरिक फसलों के बजाय सेब और अन्य मौसम में पैदा होने वाली उच्च मूल्य पर बिकने वाली सब्ज़ियों की ओर रुख कर रहे हैं। अंबुजा फाउंडेशन और नाबार्ड द्वारा इन परियोजनाओं के अंतर्गत 3 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)और 2 डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना 1714 किसानों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण रही है जिनमें 823 महिलाएं हैं। ये एफपीओ दूध,दूध के उत्पादों और कृषि आधारित उत्पाद जैसे पशु चारा और उपकरणों की बिक्री और विपणन की सुविधा प्रदान करते हैं। 2015 से इन एफपीओ की सदस्यता 60 से बढ़कर 1714 हो गई है और वित्तीय वर्ष 2023-24 में कारोबार ₹376.50 लाख तक पहुँच गया है जिससे सीमांत कृषक परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण और उत्थान को बढ़ावा मिला है।





