Month: May 2025

  • एसवीएन विद्यालय कुनिहार की छात्रा शगुन प्लस टू हिमाचल मेरिट की टॉप टेन में ।

    एसवीएन विद्यालय कुनिहार की छात्रा शगुन प्लस टू हिमाचल मेरिट की टॉप टेन में ।

    कुनिहार
    एसवीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल कुनिहार न केवल शैक्षिक उत्कृष्ट के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि विद्यार्थियों में नैतिक मूल्य अनुशासन सहिष्णुता और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे जीवन मूल्यों का भी सह विकास करता है । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण विद्यालय की बारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में विद्यार्थियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन तथा उनके व्यवहार नेतृत्व क्षमता और जिम्मेदार नागरिक के रूप में उनके व्यक्तित्व में देखा जा सकता है। विद्यालय के छात्रों ने गत वर्षों की भान्ति इस वर्ष भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है जो विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता और समर्पित शिक्षण पद्धति को दर्शाता है। विद्यालय अध्यक्ष टी सी गर्ग ने इस सफलता के लिए छात्रों शिक्षको और अभिभावकों को बधाई दी और विद्यालय की निरंतर प्रगति की कामना की।

    विद्यालय के कक्षा 12वीं के छात्र-छात्राओं ने इस वर्ष के बोर्ड परीक्षा परिणामों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर हिमाचल बोर्ड परीक्षा के मेरिट मे 10वां स्थान प्राप्त किया है। विज्ञान, वाणिज्य और मानविकी तीनों ही धाराओं में छात्रों ने शानदार अंक प्राप्त किए हैं।
    स्ट्रीम वार टॉपर्स:

    विज्ञान संकाय में उर्वषी ने 462 अंक प्राप्त कर विद्यालय मे प्रथम स्थान, महक ने 457 द्वितिय, और गरिमा तंवर ने 455 अंक लेकर तृत्य स्थान प्राप्त किया।

    वाणिज्य संकाय मे चित्रा 436 अंक मे पृथम, 426 अंक प्राप्त कर भारती और 395 अंक लेकर अलीशा ने तृत्य स्थान प्राप्त किया।

    मानविकी संकाय मे शगुन ने 472 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान हासिल किया और बोर्ड मे 10वां स्थान प्राप्त किया। कृतिका ने 440 अंक प्राप्त कर दूसरा, और 438 अंक के साथ आरुशी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

    विद्यालय अध्यक्ष टी सी गर्ग ने विद्यालय की शैक्षणिक मजबूती और समर्पित शिक्षकों के मार्गदर्शन से यह सफलता संभव हुई है।
    विद्यालय के प्रधानाचार्य पदम् नाभम ने इन बेहतरीन परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे छात्रों ने निरंतर परिश्रम, अनुशासन और आत्मविश्वास से यह मुकाम हासिल किया है। मैं समस्त विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ। साथ ही, मैं शिक्षकों की मेहनत और अभिभावकों के सहयोग व विश्वास के लिए विशेष धन्यवाद करता हूँ। यह सफलता हम सभी की सामूहिक उपलब्धि है।”

  • बी एल स्कूल कुनिहार में कला और वाणिज्य संकाय का परीक्षा परिणाम रहा 100 प्रतिशत

    बी एल स्कूल कुनिहार में कला और वाणिज्य संकाय का परीक्षा परिणाम रहा 100 प्रतिशत

    कुनिहार
    बी एल सेंट्रल पब्लिक वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कुनिहार की छात्राओं ने बारहवीं कक्षा तीनो संकायों में टॉप किया है I जानकारी देते हुए विद्यालय अध्यक्ष ने बताया की हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने बारहवीं कक्षा का वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया हे जिसमे विद्यालय से कला संकाय में जसविंदर ने 462/ 500= 92.2% अंक लेकर पहला , अपर्णा ने 87.6 % अंक लेकर दूसरा, नेहा ने 87% अंक लेकर तीसरा, अक्षिता ने 85.2 % अंक लेकर चौथा और निधि ने 81.6% अंक लेकर पांचवां स्थान प्राप्त किया है I वाणिज्य संकाय में प्रिया ने 89.2% अंक लेकर पहला स्थान , अनन्या ने 88.2% अंक लेकर दूसरा स्थान ,शगुन 86.2% अंक लेकर तीसरा , हिमांशी ने 81.8 % अंक लेकर चौथा और श्रिया ने 80.2 अंक लेकर पांचवां स्थान प्राप्त किया है I विज्ञान संकाय में जेसमीन ने 89% अंक लेकर विद्यालय में पहला, पलक पाल ने 87.2% अंक लेकर दूसरा और अद्तिया सिंह ने 86.8% अंक लेकर तीसरा, सारिका ने 86% अंक लेकर चौथा और सिमरन ने 85.8% अंक लेकर पांचवां स्थान प्राप्त किया है I विद्यालय अध्यक्ष ने बताया हे की कला और वाणिज्य संकाय का 100 प्रतिशत परिणाम रहा है उन्होंने इन सभी मेधावी छात्रों और इनके अभिभावकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है I विद्यालय अध्यक्ष ने बताया की इस परीक्षा परिणाम से पुरे विद्यालय में ख़ुशी की लहर है I उन्होंने बतया की बी एल स्कूल को लगातार 30 वर्षों से अच्छे परीक्षा परिणाम देते हुए हिमाचल प्रदेश में A ग्रेड का दर्जा मिला हुआ है I इस विद्यालय के बच्चे अच्छे परीक्षा परिणाम दे कर व् खेल कूद व् अन्य गतिविधियों में भाग लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपने विद्यालय का , माता-पिता का और इलाके का नाम रोशन कर रहे है और समाज में एक अच्छे आदर्श नागरिक बन कर उभर रहे हैं तथा देश-विदेश में अपनी सेवाएँ दे रहे है I विद्यालय प्रधानाचार्य पुर्शोतम लाल और मुख्याध्यापिका सुषमा शर्मा ने भी इन सभी मेधावी बच्चों को अच्छे परीक्षा परिणाम के लिए बधाई दी I विद्यालय अभिभावक संघ के अध्यक्ष रतन तनवर और विद्यालय के सभी अध्यापक वर्ग ने इन सभी बच्चों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है I

  • राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर के 10+2 विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम में शानदार प्रदर्शन बारहवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा में दीपिका ने प्राप्त किए 435 अंक

    राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर के 10+2 विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम में शानदार प्रदर्शन बारहवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा में दीपिका ने प्राप्त किए 435 अंक

    अर्की

    डुमैहर, 17 मई हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा घोषित बारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर के विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। विद्यालय के छात्रा *दीपिका** ने शानदार प्रदर्शन करते हुए **435 अंकों के साथ पहला स्थान**डौली** ने **434 अंकों के साथ दूसरा स्थान** तथा *इशिता व हिमांशी ने 419 अंकों के साथ*तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
    इस वर्ष बारहवीं कक्षा में डुमैहर विद्यालय में कुल 27 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी जिनमें से 26 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं तथा एक विद्यार्थी को कंपार्टमेंट आई है जो कि विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता व विद्यार्थियों की मेहनत का परिणाम है यह जानकारी विद्यालय के डी पी ई राज कुमार पाल ने दी है।
    विद्यालय के प्रधानाचार्य  अरुण कुमार ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सफलता कठिन परिश्रम, अनुशासन एवं शिक्षकों के मार्गदर्शन का परिणाम है। विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान  राकेश अत्रि ने भी छात्रों की इस उपलब्धि पर गर्व जताया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

    विद्यालय परिवार ने इन प्रतिभाशाली छात्रों को शुभकामनाएँ दी हैं तथा भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन की आशा जताई है।

  • श्री राम का सम्पाती से मिलना

    श्री राम का सम्पाती से मिलना

    संक्षिप्त रामायण(भार्गव)

    हनुमान्‌जी और श्री रामजी(अध्याय१०४)

    तब सुग्रीव ने सबको समझाकर कहा कि हे वानरों के समूहों! यह श्री रामचंद्रजी का कार्य है और मेरा निहोरा अनुरोध है, तुम चारों ओर जाओ और जाकर जानकीजी को खोजो। महीने भर में वापस आ जाना। जो महीने भर की अवधि बिताकर बिना पता लगाए ही लौट आएगा मुझे उसका वध करवाना ही पड़ेगा।

    वानरों के चार दल बनाये गए हैं और चारों दिशाओं में वानर दल को भेजा गया है। सुग्रीव के वचन सुनते ही सब वानर तुरंत जहाँ-तहाँ भिन्न-भिन्न दिशाओं में चल दिए।

    तब सुग्रीव ने अंगद, नल, हनुमान्‌ आदि प्रधान-प्रधान योद्धाओं को बुलाया और कहा- हे धीरबुद्धि और चतुर नील, अंगद, जाम्बवान्‌ और हनुमान! तुम सब श्रेष्ठ योद्धा मिलकर दक्षिण दिशा को जाओ और सब किसी से सीताजी का पता पूछना और श्री रामचंद्रजी का कार्य संपन्न सफल करना।

    आज्ञा माँगकर और चरणों में फिर सिर नवाकर श्री रघुनाथजी का स्मरण करते हुए सब हर्षित होकर चले।

    पाछें पवन तनय सिरु नावा। जानि काज प्रभु निकट बोलावा। परसा सीस सरोरुह पानी। करमुद्रिका दीन्हि जन जानी।

    सबके पीछे पवनसुत श्री हनुमान्‌जी ने सिर नवाया। कार्य का विचार करके प्रभु ने उन्हें अपने पास बुलाया। उन्होंने अपने करकमल से उनके सिर का स्पर्श किया तथा अपना सेवक जानकर उन्हें अपने हाथ की अँगूठी उतारकर दी।

    क्योंकि भगवान जानते हैं सीता जी को यही हनुमान ढूंढकर लाएंगे। और फिर रामजी कहते हैं कि तुम सीता जी को समझकर जल्दी लौट आना।

    गोस्वामी जी कहते हैं यदयपि भगवान सब जानते है फिर भी नीति की मर्यादा रखने के लिए सीताजी का पता लगाने को जहाँ-तहाँ वानरों को भेज रहे हैं।

    सब वानर वन, नदी, तालाब, पर्वत और पर्वतों की कन्दराओं में खोजते हुए चले जा रहे हैं। मन श्री रामजी के कार्य में लवलीन है। सभी सीता जी को खोजने में लगे हुए हैं। इतने में ही सबको अत्यंत प्यास लगी, जिससे सब अत्यंत ही व्याकुल हो गए, किंतु जल कहीं नहीं मिला। घने जंगल में सब भुला गए। हनुमान्‌जी ने मन में अनुमान किया कि जल पिए बिना सब लोग मरना ही चाहते हैं।

    उन्होंने पहाड़ की चोटी पर चढ़कर चारों ओर देखा तो पृथ्वी के अंदर एक गुफा में उन्हें एक आश्चर्य दिखाई दिया। पवन कुमार हनुमान्‌जी पर्वत से उतर आए और सबको ले जाकर उन्होंने वह गुफा दिखलाई। और सब गुफा में घुस गए। दर जाकर उन्होंने एक उत्तम उपवन बगीचा और तालाब देखा, जिसमें बहुत से कमल खिले हुए हैं। वहीं एक सुंदर मंदिर है, जिसमें एक तपोमूर्ति स्त्री बैठी है।

    दूर से ही सबने उसे सिर नवाया और पूछने पर अपना सब वृत्तांत कह सुनाया। तब उसने कहा- जलपान करो और भाँति-भाँति के रसीले सुंदर फल खाओ। आज्ञा पाकर सबने स्नान किया, मीठे फल खाए और फिर सब उसके पास चले आए।

    तब उसने अपनी सब कथा कह सुनाई और कहा मेरा नाम स्वयंप्रभा हैं और मैं अब वहाँ जाऊँगी जहाँ श्री रघुनाथजी हैं। तुम लोग आँखें मूँद लो और गुफा को छोड़कर बाहर जाओ। तुम सीताजी को पा जाओगे, निराश न होओ।

    और वह स्वयं वहाँ गई जहाँ श्री रघुनाथजी थे। उसने जाकर प्रभु के चरण कमलों में मस्तक नवाया और बहुत प्रकार से विनती की। प्रभु ने उसे अपनी अनपायिनी अचल भक्ति दी। फिर वह स्वयंप्रभा बदरिकाश्रम को चली गई।

    इधर आँखें मूँदकर फिर जब आँखें खोलीं तो सब वीर क्या देखते हैं कि सब समुद्र के किनारे पर खड़े हैं। यहाँ वानरगण मन में विचार कर रहे हैं कि अवधि तो बीत गई, पर सीताजी कि खबर नही मिली और सीताजी की खबर लिए बिना लौटकर भी क्या करेंगे!

    अंगद ने नेत्रों में जल भरकर कहा कि दोनों ही प्रकार से हमारी मृत्यु हुई। यहाँ तो सीताजी की सुध नहीं मिली और वहाँ जाने पर वानरराज सुग्रीव मार डालेंगे। वे तो पिता के वध होने पर ही मुझे मार डालते। श्री रामजी ने ही मेरी रक्षा की। अंगद बार-बार सबसे कह रहे हैं कि अब मरण निश्चित है।

    अब सभी कहने लगे- हे युवराज! हम लोग सीताजी की खोज लिए बिना नहीं लौटेंगे। ऐसा कहकर लवणसागर के तट पर जाकर सब वानर कुश बिछाकर बैठ गए। और जामवंत बोले कि- श्री रामजी को मनुष्य न मानो, उन्हें निर्गुण ब्रह्म, अजेय और अजन्मा समझो। हम सब सेवक अत्यंत बड़भागी हैं, जो रामजी के काम से यहाँ आये हैं और उनमे प्रीति रखते है

    जटायु भाई सम्पाती

    जब जामवन्त इस प्रकार बोल रहे थे तब इनकी बातें पर्वत की कन्दरा में सम्पाती ने सुनीं। बाहर निकलकर उसने बहुत से वानर देखे। तब वह बोला- जगदीश्वर ने मुझको घर बैठे बहुत सा आहार भेज दिया! आज इन सबको खा जाऊँगा। बहुत दिन बीत गए, भोजन के बिना मर रहा था। पेटभर भोजन कभी नहीं मिलता।

    फिर उस गीध सम्पाती को देखकर सब वानर उठ खड़े हुए। जाम्बवान्‌ के मन में विशेष सोच हुआ। जामवन्त कहते हैं कि अच्छा है हमारी मृत देह किसी के तो काम आएगी। फिर अंगद कहते हैं कि- जटायु के समान धन्य कोई नहीं है। श्री रामजी के कार्य के लिए शरीर छोड़कर वह परम बड़भागी भगवान्‌ के परमधाम को चला गया।

    ये बात सुनकर सम्पाती वानरों के निकट आया और जटायु के बारे में पूछा। तब उन्होंने सारी कथा उसे कह सुनाई।

    भाई जटायु की करनी सुनकर सम्पाती ने बहुत प्रकार से श्री रघुनाथजी की महिमा वर्णन की। उसने कहा- मुझे समुद्र के किनारे ले चलो, मैं जटायु को तिलांजलि दे दूँ। इस सेवा के बदले मैं तुम्हे बता दूंगा कि सीताजी कहाँ हैं, जिसे तुम खोज रहे हो उसे पा जाओगे।

    समुद्र के तीर पर छोटे भाई जटायु की क्रिया श्राद्ध आदि करके सम्पाती अपनी कथा कहने लगा- हे वीर वानरों! सुनो, हम दोनों भाई उठती जवानी में एक बार आकाश में उड़कर सूर्य के निकट चले गए।

    जटायु तेज नहीं सह सका, इससे लौट आया किंतु, मैं अभिमानी था इसलिए सूर्य के पास चला गया। तेज न सहि सक सो फिरि आवा। मैं अभिमानी रबि निअरावा।

    सूर्य के तेज से मेरे पंख जल गए और मैं भूमि पर आ गिरा। वहाँ चंद्रमा नाम के एक मुनि थे। मुझे देखकर उन्हें बड़ी दया लगी। और मुझे अभिमान रहित ज्ञान दिया और कहा-त्रेतायुग में भगवान मनुष्य शरीर धारण करेंगे। उनकी स्त्री को राक्षसों का राजा हर ले जाएगा। उसकी खोज में प्रभु दूत भेजेंगे। उनसे मिलने पर तू पवित्र हो जाएगा। और तेरे पंख उग आएँगे, चिंता न कर। उन्हें तू सीताजी को दिखा देना। मुनि की वह वाणी आज सत्य हुई। अब मेरे वचन सुनकर तुम प्रभु का कार्य करो।

    त्रिकूट पर्वत पर लंका बसी हुई है। वहाँ स्वभाव से ही निडर रावण रहता है। वहाँ अशोक नाम का उपवन बगीचा है, जहाँ सीताजी रहती हैं। इस समय भी वे सोच में मग्न बैठी हैं। मैं उन्हें देख रहा हूँ, तुम नहीं देख सकते, क्योंकि गीध की दृष्टि अपार होती है। गीधहि दृष्टि अपार।

    जो सौ योजन चार सौ कोस समुद्र लाँघ सकेगा और बुद्धिनिधान होगा, वही श्री रामजी का कार्य कर सकेगा। इस प्रकार कहकर जब गीध चला गया।

    अब सब वानर सोच में पग गए कि समुद्र पार कैसे पहुंचा जाये? ऋक्षराज जाम्बवान्‌ कहने लगे- मैं बूढ़ा हो गया। बलि के समय जब भगवान वामन बने थे तब मैंने दो ही घड़ी में दौड़कर उस शरीर की सात परिक्रमा कर लीं थी।

    अंगद ने कहा- मैं पार तो चला जाऊँगा, परंतु लौटते समय के लिए हृदय में कुछ संदेह है।

    देखिये ये सब जा सकते हैं लेकिन हनुमान जी की सोई हुई शक्तियों को जगाना है और हनुमान जी को ही भेजना है।

    ऋक्षराज जाम्बवान्‌ ने श्री हनुमानजी से कहा- हे हनुमान्‌! हे बलवान्‌! सुनो, तुम क्यों चुप बैठे हो? तुम पवन के पुत्र हो और बल में पवन के समान हो। तुम बुद्धि-विवेक और विज्ञान की खान हो।

    कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं। राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा।

    जगत्‌ में कौन सा ऐसा कठिन काम है जो तुमसे न हो सके। श्री रामजी के कार्य के लिए ही तो तुम्हारा अवतार हुआ है। यह सुनते ही हनुमान्‌जी पर्वत के आकार के अत्यंत विशालकाय हो गए।

    हनुमान्‌जी ने बार-बार सिंहनाद करके कहा- मैं इस खारे समुद्र को खेल में ही लाँघ सकता हूँ। और सहायकों सहित रावण को मारकर त्रिकूट पर्वत को उखाड़कर यहाँ ला सकता हूँ।

    जामवन्त जी बोले- बस बस हनुमान जी अब ज्यादा हो रहा है रावण को मारना तो राम जी का काम है। तुम जाकर इतना ही करो कि सीताजी को देखकर लौट आओ और उनकी खबर कह दो।

    तुलसीदास जी कहते हैं – भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि। तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि।

    श्री रघुवीर का यश भव जन्म-मरण रूपी रोग की अचूक दवा है। जो पुरुष और स्त्री इसे सुनेंगे, त्रिशिरा के शत्रु श्री रामजी उनके सब मनोरथों को सिद्ध करेंगे।

    यहाँ पर किष्किंधाकांड समाप्त हुआ और सुंदरकांड प्रारम्भ हुआ है।

  • कैसा रहेगा आज आपका दिन पढ़ें अपना संपूर्ण राशिफल

    कैसा रहेगा आज आपका दिन पढ़ें अपना संपूर्ण राशिफल

    राशिफल (भार्गव)

    मेष
    17-05-2025

    ♈ मेष :

    आपका हँसमुख स्वभाव दूसरों को ख़ुश रखेगा। रुका हुआ धन मिलेगा और आर्थिक हालात में सुधार आएगा। कुछ लोग जितना कर सकते हैं, उससे कई ज़्यादा करने का वादा कर देते हैं। ऐसे लोगों को भूल जाएँ जो सिर्फ़ गाल बजाना जानते हैं और कोई परिणाम नहीं देते। प्यार के नज़रिए से यह दिन बेहद ख़ास रहेगा। छुपे हुए दुश्मन आपके बारे में अफ़वाहें फैलाने के लिए अधीर होंगे। आप अपने जीवनसाथी के साथ कुछ बहुत रोमांचक काम कर सकते हैं।

    भाग्यशाली दिशा: उत्तर

    भाग्यशाली संख्या: 9

    भाग्यशाली रंग: गहरा नीला

     

    वृष
    17-05-2025

    ♉वृषभ :

    आज आपका मन पूजा-पाठ में अधिक लगा रहेगा। आज माता-पिता के साथ मंदिर में जाने का प्लान बना सकते हैं। कई दिनों से चली आ रही परेशानियां आज खत्म हो सकती है। अगर आप किसी समारोह में जा रहें है तो लाइट जाने पर आपको तैयार होने में थोड़ा लेट हो सकता है। इस राशि के नौकरीपेशा लोगों को आज एक सुनहरा मौका मिल सकता है। स्टूडेंट्स के लिए आज का दिन काफी बढ़िया रहेगा। पढ़ाई-लिखाई में मन लगेगा साथ ही किसी इंटरव्यू में जा रहे हैं तो पपीता खाकर जाए। गायत्री मंत्र का जाप करने से आपका मन शांत रहेगा।

    भाग्यशाली दिशा: पूर्व

    भाग्यशाली संख्या: 4

    भाग्यशाली रंग: पीला रंग

     

    मिथुन
    17-05-2025

    ♊ मिथुन :

    आज आपको किसी नई जगह पर अथवा किसी नए तरीके से पढ़ाई करने का अवसर मिल सकता है। जज्बाती होने के कारण आज आपके लिए छोटे-छोटे मुद्दे भी तूल पकड़ सकते हैं। छोटी-छोटी समस्यायें खुद दूर हो जाएंगी। आज आपको कोई बहुत महत्वपूर्ण सूचना भी मिल सकती है। जिससे आपका किसी समस्या को देखने का नजरिया ही बदल जाएगा। आज आप सामाजिक रूप से कुछ व्यस्त रहेंगे। दफ़्तर के तनाव को घर में न लाएँ। इससे आपके परिवार की खुशी खत्म हो सकती है। अच्छा यही है कि परेशानियों का सामना दफ्तर में ही करें और घर पर पारिवारिक जीवन का आनंद लें।

    भाग्यशाली दिशा: उत्तर

    भाग्यशाली संख्या: 7

    भाग्यशाली रंग: बैंगनी रंग

     

    कर्क
    17-05-2025

    ♋ कर्क :

    भागीदारी वाले व्यवसायों और चालाकी भरी आर्थिक योजनाओं में निवेश न करें। समस्याओं को दिमाग़ से बाहर खदेड़ दें और घर व दोस्तों के बीच अपनी स्थिति सुधारने के बारे में सोचें। आज आपकी मुस्कान बेमानी है, हँसी में वो खनक नहीं है, दिल धड़कने में आनाकानी कर रहा है; क्योंकि आप किसी ख़ास के साथ की कमी महसूस कर रहे हैं। आज आपको महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान लगाने की ज़रूरत है।

    भाग्यशाली दिशा: दक्षिण

    भाग्यशाली संख्या: 1

    भाग्यशाली रंग: पीला रंग

     

    सिंह
    17-05-2025

    ♌ सिंह :

    लोगों के लिए आज का दिन फायदेमंद रहेगा। आज आपके रूके हुए कामों में आपके मित्र आपकी मदद करेंगे। आज आपके दुश्मन आपसे दूरियां बनाये रहेंगे। आज आपको किसी अपनों से खुशखबरी मिल सकती है। आज पैसे के मामले में आप उधार के देने-लेने से बचें। आज आपके रूके हुए पैसे वापस मिल सकते हैं। इस राशि वाले छात्र आज किसी से बहस न करें। पढ़ाई के प्रति आज आपका रूझान बना रहेगा। आज आपके पास कुछ नयी जिम्मेदारियां आएगी। अपकी तीव्र बुद्धि के कारण आज आपको पुरूस्कार मिलने के योग नजर आ रहे हैं। काले तिल को बहते जल में प्रवाहित करने से आपके सारे काम आसानी से होंगे।

    भाग्यशाली दिशा: दक्षिण पश्चिम

    भाग्यशाली संख्या: 2

    भाग्यशाली रंग: सफ़ेद रंग

     

    कन्या
    17-05-2025

    ♍ कन्या :

    आज आप व्यस्तता के चलते घरेलू कामकाज पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। संतान सुख की प्राप्ति संभव है। सोच समझकर उधार दे। व्यक्तिगत संबंध मधुर सकते हैं। शत्रु से राहत मिलेगी। पिछले कुछ समय से चला आ रहा झंझट खत्म होने की संभावना है। कोई अच्छी खबर भी मिल सकती है। आप कुछ अच्छी योजनाएं बनाएंगे जिनसे आने वाले दिनों में आपको फायदा होने के योग हैं। विवेकपूर्ण कार्य लाभ देंगे। धनलाभ के आसार बन रहे हैं। उत्साह से कार्य करने से लाभ होगा। मनोवांछित सफलता न मिलने से उत्साह में कमी आ सकती है। दूसरों से बुरा व्यवहार न करें।

    भाग्यशाली दिशा: पश्चिम

    भाग्यशाली संख्या: 9

    भाग्यशाली रंग: नारंगी रंग

     

    तुला
    17-05-2025

    ♎ तुला :

    मनोरंजन और सौन्दर्य में इज़ाफ़े पर ज़रुरत से ज़्यादा वक़्त न ख़र्च करें। आपको परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी दिक़्क़त होगी, लेकिन इस वजह से अपनी मानसिक शान्ति भंग न होने दें। रोमांस के लिए अच्छा दिन है। कुछ लोगों के लिए आकस्मिक यात्रा दौड़-भाग भरी और तनावपूर्ण रहेगी। आपके जीवनसाथी के लबों की मुस्कान पल भर में आपका सारा दर्द ग़ायब करने की क़ाबिलियत रखती हे। अपने अच्छे लेखन के साथ आज आप किसी अकल्पनीय उड़ान पर जा सकते हैं।

    भाग्यशाली दिशा: उत्तर

    भाग्यशाली संख्या: 2

    भाग्यशाली रंग: भूरा रंग

     

    वृश्चिक
    17-05-2025

    ♏ वृश्चिक :

    आज आपका दिन राहतपूर्ण रहने वाला है। आज आपके पारिवारिक जीवन में उत्साह का माहौल रहेगा। इस राशि वाले कवियों के लिए आज का दिन अत्यन्त महत्वपूर्णरहने वाला है। आज आपको अपनी प्रतिभाओं के लिए पुरस्कार भी मिल सकते है। लवमेट के लिए आज का दिन शुभ है। आज आप अपने साथी से मन की बात कर उन्हें कही घूमने ले जा सकते है। इस राशि के कारोबारियों के लिए आज का दिन लाभप्रद रहेगा। आज आपकी कंपनियों को नेशनल और इंटरनेशनल के आयात-निर्यात में लाभ की प्राप्ति होगी।

    भाग्यशाली दिशा: दक्षिण

    भाग्यशाली संख्या: 1

    भाग्यशाली रंग: नारंगी रंग

     

    धनु
    17-05-2025

    ♑ धनु :

    आज जल्दबाजी न करें। किसी विवाद से बचें। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजमर्रा की समस्याएं आसानी से सुलझ सकती हैं। महत्वपूर्ण फैसले लेना चाहते हैं, तो आज ले सकते हैं। आज फालतू खर्च होगा। आपका शत्रु भय रहेगा। आपका धनार्जन होगा। आज यात्रा करने से बचें- क्योंकि इसके चलते आप थकान और तनाव महसूस करेंगे। इस बात में सावधानी बरतें कि आप किसके साथ आर्थिक लेन-देन कर रहे हैं। बेकार की बातों और झगड़ों से बचें। घर के रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है। अपने साथी और दोस्तों के साथ कुछ समय व्यतीत करें। प्रतिस्पर्धियों पर विजय मिलेगी।

    भाग्यशाली दिशा: पूर्व

    भाग्यशाली संख्या: 9

    भाग्यशाली रंग: भूरा रंग

     

    मकर
    17-05-2025

    ♑ मकर :

    घरेलू कामकाज का बोझ और रुपये-पैसे को लेकर तनातनी आज आपके वैवाहिक जीवन में परेशानी खड़ी कर सकती है। इकतरफ़ा प्यार आपके लिए काफ़ी ख़तरनाक साबित होगा। अचानक यात्रा के कारण आप आपाधापी और तनाव का शिकार हो सकते हैं। वैवाहिक जीवन में आप कुछ निजता की ज़रूरत महसूस करेंगे। समय मुफ़्त ज़रूर है पर बेशक़ीमती भी है, इसलिए अपने अधूरे कार्यों को निपटाकर आप आने वाले कल के लिए निश्चिंत हो सकते हैं। अगर परिवार संग कही घूमने का प्लान बना रहे हैं आज का दिन अच्छा है। गणेश जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाने से करियर के लिए नए मार्ग खुलेंगे।

    भाग्यशाली दिशा: पश्चिम

    भाग्यशाली संख्या: 4

    भाग्यशाली रंग: बैंगनी रंग

     

    कुंभ
    17-05-2025

    ♒ कुंभ :

    आज किस्मत आपके साथ कदम मिलाकर चलेगी। ऑफिस में आज काम इस राशि के बिजनेसमैन को लिए आज का दिन अधिक फायदा देने वाला है। अगर नया व्यापार शुरू करने की सोच रहे हैं तो आज का दिन शुभ है। धनलाभ के साथ खुशियों का आगमन होगा। स्टूडेंट्स के लिए आज का दिन सामान्य रहेगा। पढ़ाई में थोड़े फेर बदल करेंगे तो करियर में आगे बेहतर परिणाम मिलेंगे। पैसों के लेन-देन से आज दूर रहें। धनलाभ के कई सुनहरे अवसर आपको मिलेगें। आज आर्थिक स्थिति पहले से मजबूत बना रहेगा। विवाहितों के लिए आज का दिन अनुकूल है।

    भाग्यशाली दिशा: उत्तर

    भाग्यशाली संख्या: 7

    भाग्यशाली रंग: बैंगनी रंग

     

    मीन
    17-05-2025

    ♓ मीन :

    आज परिजनों के साथ आनंदपूर्वक समय व्यतीत होगा। वाहन-सुख मिलेगा तथा मान-सम्मान भी मिलेगा। अपने साथी और दोस्तों के साथ कुछ समय व्यतीत करें। आपके सहयोगियों ने ऐसी स्थितियों में बहुत अच्छी तरह से आप का समर्थन किया है और ये समय उन लोगों से प्राप्त हुई मदद की सराहना करने का समय है। कल्पनाओं के पीछे न दौड़ें और यथार्थवादी बनें। अपने आत्मविश्वास का फायदा उठाएँ। गलत निर्णय लेनें से बचें। आज मानसिक संतुलन बनाये रखें। करियर और प्रोफेशन के लिए समय सामान्य है। स्टूडेंट्स सावधान रहें। दौड़-भाग के साथ किसी बात की टेंशन भी हो सकती है।

    भाग्यशाली दिशा: दक्षिण

    भाग्यशाली संख्या: 8

    भाग्यशाली रंग: नीला रंग

  • स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मांगल का परिणाम रहा 80%

    स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मांगल का परिणाम रहा 80%

    अर्की

    स्वर्ण जयंती उत्कृष्ट राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मांगल का परिणाम 80% रहा! जिसमें 629 अंक लेकर अक्षित रघुवंशी ने प्रथम स्थान हासिल किया! 625 अंक के साथ अनामिका ने द्वितीय स्थान हासिल किया! 598 अंकों के साथ अंजलि ने तृतीय स्थान हासिल किया l प्रधानाचार्य सुरेंद्र कुमार शर्मा ने तीनों होनहारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया l विदित रहे कि पिछले वर्ष विद्यालय का परिणाम 62% था। इस वर्ष विद्यालय प्रबंधन समिति और स्टाफ के सदस्यों के अथक प्रयासों द्वारा इस वर्ष का वार्षिक परिणाम 80% रहा! प्रधानाचार्य सुरेंद्र कुमार शर्मा ने स्टाफ के सदस्यो को बेहतर परिणाम के लिए बधाई दी!

  • राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर के छात्रों का शानदार प्रदर्शन दसवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा में कुशल ने प्राप्त किए 675 अंक

    राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर के छात्रों का शानदार प्रदर्शन दसवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा में कुशल ने प्राप्त किए 675 अंक

    अर्की

    हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा घोषित दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में **राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय डुमैहर** के विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। विद्यालय के छात्र **कुशल** ने शानदार प्रदर्शन करते हुए **675 अंक**, छात्रा **सपना** ने **650 अंक**, तथा **दिक्षा** ने **645 अंक** प्राप्त किए हैं।

    इस वर्ष विद्यालय से कुल **26 छात्रों** ने दसवीं की परीक्षा दी थी, जिनमें से **25 छात्र प्रथम श्रेणी** में उत्तीर्ण हुए हैं, जो कि विद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता और विद्यार्थियों की मेहनत का प्रमाण है।

    विद्यालय के प्रधानाचार्य **श्री अरुण कुमार** ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए छात्रों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि छात्रों के कठिन परिश्रम, अनुशासन, तथा शिक्षकों के मार्गदर्शन का परिणाम है।

    विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रधान **श्री राकेश अत्रि** ने भी छात्रों की इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

    **विद्यालय परिवार** ने इन प्रतिभाशाली छात्रों को शुभकामनाएँ दी हैं तथा आशा जताई है कि वे भविष्य में भी इसी तरह उत्कृष्ट प्रदर्शन करते रहेंगे। यह जानकारी विद्यालय के डी पी ई राज कुमार पाल ने दी।

  • पीएम श्री चंडी (अर्की ) विद्यालय के धीरज ने 646/700 अंक प्राप्त कर हासिल किया विद्यालय में प्रथम स्थान

    पीएम श्री चंडी (अर्की ) विद्यालय के धीरज ने 646/700 अंक प्राप्त कर हासिल किया विद्यालय में प्रथम स्थान

    अर्की

    पीएम श्री चंडी (अर्की ) विद्यालय के धीरज ने 646/700 अंक प्राप्त कर हासिल किया विद्यालय में प्रथम स्थान। पीएम श्री राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चंडी (अर्की )के धीरज ने हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित दसवीं की वार्षिक परीक्षा मार्च 2025 में 646 / 700 अंक (92. 29 प्रतिशत) लेकर प्रथम स्थान प्राप्त कर विद्यालय का नाम रोशन किया है। हिमांशी ने 645/ 700 अंक ( 92.4 प्रतिशत) लेकर द्वितीय स्थान व प्रियंका शर्मा ने 636/ 700 अंक (90.86 प्रतिशत) लेकर तृतीय स्थान प्राप्त किया। विद्यालय का परीक्षा परिणाम सराहनीय रहा। 25 विद्यार्थियों ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा उत्तीर्ण की। विद्यालय की कार्यवाहक प्रधानाचार्या अमिता कौशल ने बेहतरीन परीक्षा परिणाम के लिए विद्यालय के सभी अध्यापकों, विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को शुभकामनाएं दी।

  • बी एल स्कूल कुनिहार की अन्वी , गीतंश और मन्नत ने किया दसवीं कक्षा में टॉप

    बी एल स्कूल कुनिहार की अन्वी , गीतंश और मन्नत ने किया दसवीं कक्षा में टॉप

    कुनिहार
    बी एल सेंट्रल पब्लिक वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कुनिहार की अन्वी , गीतंश और मन्नत ने दसवीं कक्षा में 96 % अंक लेकर विद्यालय में टॉप किया है I जानकारी देते हुए विद्यालय अध्यक्ष ने बताया की हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने दसवीं कक्षा का वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया हे जिसमे विद्यालय से अन्वी, गीतंश और मन्नत ने
    672/ 700= 96% अंक लेकर विद्यालय में टॉप किया है I उन्होंने बताया की भूमिका और केशव शर्मा ने 95.85% अंक लेकर दूसरा स्थान , जतिन गुप्ता ने 95.43% अंक लेकर तीसरा स्थान , इशिता ने 95.14% अंक लेकर चौथा स्थान , दीक्षा और दिया कौशल ने 94.85% अंक लेकर पांचवा स्थान , चैतन्य ने 94.71 % अंक लेकर छटा स्थान , जतिन शर्मा ने 92.71% अंक लेकर सातंवा स्थान , मानसी ने 92.43 % अंक लेकर आठवाँ स्थान , पारुल ने 92.28% अंक लेकर नवमा स्थान और दिव्या और राधिका ने 92.14 % अंक लेकर दसवां स्थान प्राप्त किया है I विद्यालय अध्यक्ष ने इन सभी मेधावी छात्रों प्रार्थना सभा में को मिठाई खिलाकर बधाई दी I मंच का संचालन करते हुए शिवानी शर्मा ने सभी मेधावी बच्चों को संबोधित किया और बताया की दसवीं कक्षा की परीक्षा में 71 बच्चों ने परीक्षा दी थी जिसमें 68 बच्चों ने फर्स्ट डिवीज़न हासिल की है और 20 बच्चों ने 90% से ज्यादा अंक अर्जित किये है I उन्होंने सभी बच्चों और उनके अभिभावकों , अध्यापकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है I विद्यालय अध्यक्ष ने बताया की इस परीक्षा परिणाम से पुरे विद्यालय में ख़ुशी की लहर है I विद्यालय के बच्चे अन्य गितिविधियों के साथ साथ शैक्षणिक क्षेत्र में भी विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं I विद्यालय प्रधानाचार्य पुर्शोतम लाल और मुख्याध्यापिका सुषमा शर्मा ने भी इन सभी मेधावी बच्चों को मिठाई खिलाकर सम्मानित किया और सभी बच्चों को संबोधित करते हुए बधाई दी I विद्यालय अभिभावक संघ के अध्यक्ष रतन तनवर और विद्यालय के सभी अध्यापक वर्ग ने इन सभी बच्चों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है I

  • सुग्रीव राज्याभिषेक

    सुग्रीव राज्याभिषेक

    संक्षिप्त रामायण(भार्गव)

    सुग्रीव राज्याभिषेक(अध्याय१०२)

    श्री रामचंद्रजी ने छोटे भाई लक्ष्मण को समझाकर कहा कि तुम जाकर सुग्रीव को राज्य दे दो। लक्ष्मणजी ने तुरंत ही सब नगरवासियों को और ब्राह्मणों के समाज को बुला लिया और उनके सामने सुग्रीव को राज्य और अंगद को युवराज पद दिया।

    सुग्रीव ने भगवान से प्रार्थना कि- आप मेरे साथ आकर रहो।

    फिर प्रभु ने कहा- हे वानरपति सुग्रीव! सुनो, मैं चौदह वर्ष तक गाँव बस्ती में नहीं जाऊँगा। ग्रीष्मऋतु बीतकर वर्षाऋतु आ गई। अतः मैं यहाँ पास ही पर्वत पर टिका रहूँगा। तुम अंगद सहित राज्य करो। मेरे काम का हृदय में सदा ध्यान रखना। जैसे ही चार महीनेचातुर्मास बीतें तुम यहाँ आ जाना। तदनन्तर जब सुग्रीवजी घर लौट आए, तब श्री रामजी प्रवर्षण पर्वत पर रहने लगे।

    वर्षा ऋतू वर्णन

    फिर सुंदर वर्षा ऋतू का वर्णन किया है। जिसमे श्री राम छोटे भाई लक्ष्मणजी से भक्ति, वैराग्य, राजनीति और ज्ञान की अनेकों कथाएँ कहते हैं। रामजी कहते हैं- हे लक्ष्मण! देखो, मोरों के झुंड बादलों को देखकर नाच रहे हैं जैसे वैराग्य में अनुरक्त गृहस्थ किसी विष्णुभक्त को देखकर हर्षित होते हैं। छोटी नदियाँ भरकर किनारों को तुड़ाती हुई चलीं, जैसे थोड़े धन से भी दुष्ट इतरा जाते हैं।

    पृथ्वी पर पड़ते ही पानी गंदला हो गया है, जैसे शुद्ध जीव के माया लिपट गई हो। चारों दिशाओं में मेंढकों की ध्वनि ऐसी सुहावनी लगती है, मानो विद्यार्थियों के समुदाय वेद पढ़ रहे हों। अन्न से युक्त लहराती हुई खेती से हरी-भरी पृथ्वी कैसी शोभित हो रही है, जैसी उपकारी पुरुष की संपत्ति। रात के घने अंधकार में जुगनू शोभा पा रहे हैं, मानो दम्भियों का समाज आ जुटा हो।

    शरद ऋतू वर्णन

    इसके बाद शरद ऋतू का वर्णन आया है। रामजी कहते हैं- हे लक्ष्मण! देखो, वर्षा बीत गई और परम सुंदर शरद् ऋतु आ गई। न कीचड़ है न धूल? बिना बादलों का निर्मल आकाश ऐसा शोभित हो रहा है जैसे भगवद्भक्त सब आशाओं को छोड़कर सुशोभित होते हैं।

    सुखी मीन जे नीर अगाधा। जिमि हरि सरन न एकऊ बाधा। जो मछलियाँ अथाह जल में हैं, वे सुखी हैं, जैसे श्री हरि के शरण में चले जाने पर एक भी बाधा नहीं रहती।

    श्री राम जी कहते हैं – लक्ष्मण! वर्षा बीत गई, निर्मल शरद्ऋतु आ गई, परंतु सीता की कोई खबर नहीं मिली।

    सुग्रीवहुँ सुधि मोरि बिसारी। पावा राज कोस पुर नारी। सुग्रीव ने भी मेरी सुध भुला दी क्योंकि उसे राज्य, खजाना, नगर और स्त्री सब मिल गया। आज रामजी को दुःख हो रहा है और क्रोध आ रहा है कि सुग्रीव सुख पाकर मुझे कैसे भूल गया?।

    लक्ष्मणजी ने जब प्रभु को क्रोधयुक्त जाना, तब उन्होंने धनुष चढ़ाकर बाण हाथ में ले लिए।

    रामजी लक्ष्मण से कहते हैं- सखा सुग्रीव को केवल भय दिखलाकर ले आओ उसे मारना मत । क्योंकि रामजी जानते हैं अगर लक्ष्मण को क्रोध आ गया तो ये जान से ही मरेगा।

    सुग्रीव और श्री रामजी

    यहाँ किष्किन्धा नगरी में पवनकुमार श्री हनुमान्‌जी ने विचार किया कि सुग्रीव ने श्री रामजी के कार्य को भुला दिया। और साम, दान, दंड, भेद चारों प्रकार की नीति के बारे में बताया। हनुमान्‌जी के वचन सुनकर सुग्रीव ने बहुत ही भय माना। और कहा- सांसारिक विषयों ने मेरे ज्ञान को हर लिया। अब हे पवनसुत! जहाँ-तहाँ वानरों के यूथ रहते हैं, वहाँ दूतों के समूहों को भेजो। और कहला दो कि एक पखवाड़े में पंद्रह दिनों में जो न आ जाएगा, उसका मेरे हाथों वध होगा।

    तब हनुमान्‌जी ने दूतों को बुलाया और सबका बहुत सम्मान करके सबको समझाया कि सारे वानर 15 दिन के भीतर एकत्र हो जाओ। सब बंदर चरणों में सिर नवाकर चले।

    इसी समय लक्ष्मणजी नगर में आए। उनका क्रोध देखकर बंदर जहाँ-तहाँ भागे। लक्ष्मणजी ने धनुष चढ़ाकर कहा कि नगर को जलाकर अभी राख कर दूँगा। अंगद जी लक्ष्मण के सामने आये हैं। अंगद ने इन्हे प्रणाम किया है और क्रोध शांत करने कि कोशिश कि है।

    जब सुग्रीव ने सुना कि लक्ष्मण बहुत क्रोध में है तब भय से अत्यंत व्याकुल होकर कहा- हे हनुमान्‌ सुनो, तुम तारा को साथ ले जाकर विनती करके लक्ष्मण को समझा-बुझाकर शांत करो।

    हनुमान्‌जी ने तारा सहित जाकर लक्ष्मणजी के चरणों की वंदना की और प्रभु के सुंदर यश का बखान किया। वे विनती करके उन्हें महल में ले आए तथा चरणों को धोकर उन्हें पलँग पर बैठाया। तब वानरराज सुग्रीव ने उनके चरणों में सिर नवाया और लक्ष्मणजी ने हाथ पकड़कर उनको गले से लगा लिया।

    सुग्रीव ने कहा- नाथ विषय सम मद कछु नाहीं। मुनि मन मोह करइ छन माहीं। हे नाथ! विषय के समान और कोई मद नहीं है। यह मुनियों के मन में भी क्षणमात्र में मोह उत्पन्न कर देता है फिर मैं तो विषयी जीव ही ठहरा।

    इस प्रकार अनेकों तरह से लक्ष्मण जी के क्रोध को शांत किया है फिर हनुमान जी ने बताया कि सभी ओर दूतों को वानरों को लेन के लिए भेजा गया है। इस प्रकार लक्ष्मण जी को संतोष हुआ है।

    अब अंगद आदि वानरों को साथ लेकर और श्री रामजी के छोटे भाई लक्ष्मणजी को आगे करके अर्थात्‌ उनके पीछे-पीछे सुग्रीव हर्षित होकर चले और जहाँ रघुनाथजी थे वहाँ आए। और सुग्रीव रामजी के चरणों में लेट गए हैं। और हाथ जोड़कर कहते हैं – हे नाथ! मुझे कुछ भी दोष नहीं है।

    अतिसय प्रबल देव तव माया। छूटइ राम करहु जौं दाया। हे देव! आपकी माया अत्यंत ही प्रबल है। आप जब दया करते हैं, हे राम! तभी यह छूटती है। मुझे आप क्षमा कर दीजिये।

    तब श्री रघुनाथजी मुस्कुराकर बोले- हे भाई! तुम मुझे भरत के समान प्यारे हो। अब मन लगाकर वही उपाय करो जिस उपाय से सीता की खबर मिले।

    इस प्रकार बातचीत हो रही थी कि वानरों के यूथ झुंड आ गए। अनेक रंगों के वानरों के दल सब दिशाओं में दिखाई देने लगे। शिवजी कहते हैं- हे उमा! वानरों की वह सेना मैंने देखी थी। उसकी जो गिनती करना चाहे वह महान्‌ मूर्ख है। सब वानर आ-आकर श्री रामजी के चरणों में मस्तक नवाते हैं और भगवान के श्रीमुख के दर्शन करके कृतार्थ होते हैं। सेना में एक भी वानर ऐसा नहीं था जिससे श्री रामजी ने कुशल न पूछी हो। भगवान ने सबको आशीर्वाद दिया है।